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गया: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल, ढाई लाख की आबादी पर एक एम्बुलेंस

गया जिला के बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर प्रखंड में लभगभ ढाई लाख की आबादी वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है. इस कोरोना महामारी के दौर में यहां चिकित्सकों और स्टाफ के साथ-साथ एम्बुलेंस की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है.

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल

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Published : May 24, 2021, 6:49 PM IST

गया: जिले के मोहनपुरसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों और एम्बुलेंस की कमी से जूझ रहा है. लभगभ ढाई लाख की आबादी वाले स्वास्थ्य केंद्र में केवल एक छोटा एम्बुलेंस है. जिसके कारण आपात स्थिति में मरीजों को समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होता है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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ढाई लाख की आबादी पर एक एम्बुलेंस
दरअसल, गया जिला के बाराचट्टी बिद्यानसभा क्षेत्र के मोहनपुर प्रखंड लभगभ ढाई लाख की आबादी वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इस कोरोना महामारी के दौर में चिकित्सकों और स्टाफ के साथ-साथ एम्बुलेंस की कमी बड़ी समस्या बनी है. इस स्वास्थ्य केंद्र में तीन डॉक्टर के अलावा 29 नर्स हैं. लगभग ढाई लाख की आबादी पर मात्र एक छोटा एम्बुलेंस है. इस प्रखंड के लोग मोहनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए निर्भर हैं.

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स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का अभाव
बता दें यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री सह हम पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी की समधन ज्योति देवी वर्तमान विधायक हैं. बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का भारी अभाव देखने को मिल रहा है. हाल ही में विधायक ज्योति देवी ने इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया था. जिस दौरान काफी नाराजगी जताई थी. जिसकी शिकायक जिलाधिकारी से की गई थी.

क्या कहते हैं सामुदायिक स्वास्थ्य प्रबंधक

  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 3 MBBS डॉक्टर हैं. इसके अलावा एक डेंटल हैं. यहां टोटल 29 नर्स हैं. ढाई लाख की आबादी पर एक एम्बुलेंस है. ऑक्सिजन की व्यवस्था है, वेंटिलेटर नहीं है और जांच घर है.
  • मोहनपुर प्रथामिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बदल दिया गया है. लेकिन काफी लंबे समय से यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकार को जो व्यवस्था देनी चाहिए थी, वह यहां नहीं है.
  • लभगभ ढाई लाख की आबादी इसी स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए निर्भर है. जब एक साथ ज्यादा मरीज आ जाते हैं तो डॉक्टरों की संख्या कम होने की वजह से परेशानी उठानी पड़ती है.

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