गया: बिहार के गया में एक ऐसा भी पुस्तकालय है जहां किताबी शिक्षा के साथ-साथ संस्कार की दीक्षा (Initiation of the sacrament in Gaya) भी दी जाती है. किताबी शिक्षा और संस्कार की दीक्षा का यह समागम इस आधुनिक युग में कमतर ही देखने को मिलता है. गया के बोधगया मठ में इससे रूबरू हुआ जा सकता है. आज के परिवेश में ऐसा शायद ही देखा जाता है, जब छात्रों को किताबी शिक्षा के साथ-साथ संस्कार की भी दीक्षा दी जाती हो. किंतु गया के बोधगया मठ में हेम नारायण गिरि पुस्तकालय (Hem Narayan Giri Library Gaya) के बैनर तले इसका संचालन किया जा रहा है. यहां शिक्षा और दीक्षा दोनों ही निशुल्क है. इस तरह के अनोखे पुस्तकालय खोलने के बाद यहां आने वाले छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है.
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एकाग्र चित्त होकर पढ़ते हैं छात्र, एक दूसरे से नहीं करते बात: इस पुस्तकालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में एकाग्रता का अनोखा माहौल देखा जा सकता है. छात्रों का ध्यान किताबों से हटता ही नहीं. वह एकाग्र चित्त होकर अध्ययन करते रहते हैं. यहां तक कि छात्र आपस में बात भी नहीं करते. हेमराज गिरि पुस्तकालय में आज छात्रों की संख्या 70 तक पहुंच गई है. जिस तरह से इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है, उससे यहां छात्रों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है.
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं छात्र: बोधगया मठ के शंकराचार्य मठ के नाम से भी जाना जाता है. यहां कि सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पुस्तकालय में अध्ययनरत छात्रों में मेधावी छात्र हैं, जो शिक्षा और दीक्षा दोनों का अर्जन कर रहे हैं. इस निशुल्क लाइब्रेरी में आने वाले छात्र मेडिकल, बीपीएससी, एसएससी समेत विभिन्न बड़े प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं. यही वजह है कि ऊंचे लक्ष्य को पाने के लिए उनकी एकाग्रता यहां देखते ही बनती है. वहीं, संस्कारशाला आयोजित कर दी जाने वाली संस्कार की दीक्षा भी इनके लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभा रही है.