गयाः कारगिल युद्ध के चंद महीने ही गुजरे थे कि भारत की जीत से बौखलाए पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर गोलीबारी शुरू कर दी. जिसमें शहीद हुए गया के जवान की शहादत पर सरकार ने एक स्मारक तक नहीं बनाई. सरकार की बेरूखी के बाद शहीद के पिता ने खुद ही अपने शहीद बेटे की याद में स्मारक बना ली.
18 साल बाद भी नेताओं को याद नहीं आया वादा तो शहीद के पिता ने खुद ही बनवाया स्मारक
शहीद अरुण कुमार शर्मा सातवीं बिहार बटालियन के सिपाही थे. आज शहादत को 18 साल हो गए लेकिन उनके लिए एक स्मारक तक नहीं बन पाई.
2 जुलाई साल 2000 की शाम गया का जवान अरुण कुमार शर्मा शहीद हो गए थे. पिता ने बताया कि उनकी शादी हुए लगभग तीन महीने ही बीते थे. वे सातवीं बिहार बटालियन के सिपाही थे. आज शहादत को 18 साल हो गए लेकिन उनके बेटे की शहादत पर एक स्मारक तक नहीं बन पाई.
उस वक्त के स्थानीय विधायक ने किया था वादा
ग्रामीण बताते हैं अरुण शर्मा के शहीद होने पर जिला प्रशासन से कई अधिकारी आये थे. बरसात का दिन था. पूरा रास्ता कीचड़ में तब्दील था. स्थानीय विधायक और अधिकारियों ने कहा कि शहीद के नाम से एक रास्ता और स्मारक बनाया जाएगा लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद वादा भूल गए. इसके बाद परिवार ने खुद ही स्मारक बनवाया.