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गया: अफीम के खेती करने और कराने वालों को किया जाएगा चिन्हित, नाम रखा जाएगा गोपनीय

बाराचट्टी के सुदूरवर्ती इलाके में अफीम की खेती पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी की ई-किसान भवन में स्थनीय जनप्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की गई. जिलाधिकारी ने अफीम खेती को शीघ्र नष्ट करने को लेकर निर्देश जारी किया.

जिलाधिकारी ने की  बैठक
जिलाधिकारी ने की बैठक

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Published : Jan 15, 2021, 11:02 AM IST

गया: जिले के बाराचट्टी प्रखंड मुख्यालय के ई-किसान भवन की सभागार में जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बाराचट्टी के सुदूरवर्ती इलाके में हो रही बड़ी पैमाने पर अफीम की खेती को लेकर समीक्षात्मक बैठक की. जिलाधिकारी ने अधिकारियों को कहा कि नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती इलाके में हो रही मादक पदार्थ अफीम की खेती को शीघ्र नष्ट किया जाए. इसके साथ ही किसानों को वैकल्पिक खेती से जोड़ने का प्रयास किया जाए. जिससे उनकी स्थिति सुदृढ़ हो और मादक पदार्थ अफीम की खेती पर अंकुश लग सके.
अफीम की खेती करने वालों को किया जाएगा चिन्हित
अवैध अफीम की खेती करने वाले असामाजिक तत्व है, जिनपर अस्पष्ट कार्रवाई आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बाराचट्टी में अफीम की खेती के कारण जिला कलंक के टिका साबित हो रहा है. जिलाधिकारी ने समीक्षात्मक बैठक में स्थनीय जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि ऐसे लोग जो अफीम के खेती कर रहे है उन्हें चिन्हित कर प्रशासन को सूचित करें. इसके साथ ही उनका नाम पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा.

जिलाधिकारी ने की बैठक
वैकल्पिक फसल लगाने को लेकर प्रेरितजिलाधिकारी ने कहा कि सभी मिलकर अफीम की खेती करने वाले लोगों को प्रेरित करें कि वह उस स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाएं. अफीम नशीला पदार्थ है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और अवैध है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, अर्धसैनिक बल और एनसीबी सभी मिलकर अफीम की खेती को समाप्त करने और वैकल्पिक फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं.

वन विभाग और कृषि विभाग के माध्यम से की जा रही तैयारियां
बाराचट्टी की भूमि पर लेमन ग्रास की खेती करने के लिए वन विभाग और कृषि विभाग के माध्यम से लगातार तैयारी की जा रही है. डीएम ने बाराचट्टी प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि ऐसे लोग जो अभी अफीम की खेती में संलग्न है, जो अफीम के खेती कर रहे है और करवा रहे है उनके बारे में प्रशासन को सूचित करें.
अस्थाई रूप से खेती करने के लिए दिया जाएगा भूमि
जिलाधिकारी ने कहा कि वन प्रमंडल पदाधिकारी इस अभियान के नोडल पदाधिकारी हैं. इनके माध्यम से सराहनीय कार्य किया जा रहा है. वैसे भूमिहीन व्यक्ति जिसके पास भूमि नहीं है उन्हें वन विभाग के माध्यम से अस्थाई रूप से खेती करने के लिए भूमि दिया जाएगा. वहीं नॉन फॉरेस्ट क्षेत्र में मनरेगा, कृषि विभाग के माध्यम से तालाब भी बनाए जाएंगे. खाली पड़े वन भूमि पर तेजी से वृक्षारोपण के लिए योजना बनाया जा रहा है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों, वन विभाग, एनसीबी, कृषि पदाधिकारी, अर्धसैनिक बल से अनुरोध किया कि सभी मिलकर यह संकल्प ले कि वे अफीम की खेती करने वालो को इसे छोड़ने और वैकल्पिक फसल लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर जागरूक करेंगे.

पिछले वर्ष लगभग 467 एकड़ क्षेत्र में लगे अफीम की खेती को नष्ट किया गया था. इस बार भी ड्रोन सर्वे किया गया है और इस बार भी लगभग उतने ही क्षेत्र में अफीम की खेती की जा रही है. अफीम की खेती ने हमारे सभी विकास कार्य को पीछे कर दिया है. इसका एकमात्र उपाय यह है कि अफीम की खेती छोड़कर हम बाराचट्टी क्षेत्र में वैकल्पिक फसल के रूप में लेमन ग्रास की खेती करें. -अभिषेक कुमार, वन प्रमंडल पदाधिकारी

महिलाओं को उपलब्ध कराई गई सिलाई मशीन
जिलाधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लोगों को मधुमक्खी व्यवसाय के लिए 100 बक्से उपलब्ध करवाए गए हैं. गांव की महिलाओं को सिलाई मशीन दिया गया है. इसके साथ ही अन्य सुधारात्मक कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.

1 वर्ष में लगभग ₹36,000 का मुनाफा
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि प्रारंभ में 1 एकड़ जमीन में खेती करने से लगभग ₹45,000 की पूंजी लगानी होती है. लेकिन प्रथम बार में इतनी पूंजी लगाने पर इससे 5 से 6 साल तक इसी पूंजी में खेती कर सकते हैं. 1 एकड़ लेमन ग्रास की खेती करने से 1 वर्ष में लगभग ₹36,000 का मुनाफा होगा. लेमन ग्रास से तेल निकालकर अच्छी कीमत में तेल की बिक्री भी की जा सकती है. इसके साथ ही लेमनग्रास की पत्तियों से विभिन्न प्रकार के इको फ्रेंडली बैग बनाए जा सकते हैं, जिसकी बिक्री मार्केट में अभी अत्यधिक है. उन्होंने बताया कि फरवरी माह में इस फसल को लगाया जा सकता है. इसके लिए मात्र हल्के पानी की आवश्यकता है. कम पानी में भी यह अच्छी पैदावार देता है. साल में तीन बार इसकी कटाई की जा सकती है.

फरवरी माह से लेमन ग्रास की खेती शुरू
इस बैठक में उपस्थित पदाधिकारी गण और प्रशासन के माध्यम से निर्णय लिया गया है कि बाराचट्टी क्षेत्र में अफीम की खेती के बदले लेमन ग्रास की खेती को प्राथमिकता दी जाएगी. फरवरी माह से इसकी शुरुआत की जाएगी.

कई अधिकारी रहे उपस्थित
इस बैठक में जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह, वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार, एनसीबी के संयुक्त निदेशक कुमार मनीष, एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट, अनुमंडल पदाधिकारी शेरघाटी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शेरघाटी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी शंभू नाथ झा, जिला कृषि पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज श्रीवास्तव, अंचलाधिकारी कैलाश महतो और थानाध्यक्ष बाराचट्टी सहित बाराचट्टी के जनप्रतिनिधि गण उपस्थित रहे.

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