गया: जिले के बाराचट्टी प्रखंड मुख्यालय के ई-किसान भवन की सभागार में जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बाराचट्टी के सुदूरवर्ती इलाके में हो रही बड़ी पैमाने पर अफीम की खेती को लेकर समीक्षात्मक बैठक की. जिलाधिकारी ने अधिकारियों को कहा कि नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती इलाके में हो रही मादक पदार्थ अफीम की खेती को शीघ्र नष्ट किया जाए. इसके साथ ही किसानों को वैकल्पिक खेती से जोड़ने का प्रयास किया जाए. जिससे उनकी स्थिति सुदृढ़ हो और मादक पदार्थ अफीम की खेती पर अंकुश लग सके.
अफीम की खेती करने वालों को किया जाएगा चिन्हित
अवैध अफीम की खेती करने वाले असामाजिक तत्व है, जिनपर अस्पष्ट कार्रवाई आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बाराचट्टी में अफीम की खेती के कारण जिला कलंक के टिका साबित हो रहा है. जिलाधिकारी ने समीक्षात्मक बैठक में स्थनीय जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि ऐसे लोग जो अफीम के खेती कर रहे है उन्हें चिन्हित कर प्रशासन को सूचित करें. इसके साथ ही उनका नाम पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा.
वन विभाग और कृषि विभाग के माध्यम से की जा रही तैयारियां
बाराचट्टी की भूमि पर लेमन ग्रास की खेती करने के लिए वन विभाग और कृषि विभाग के माध्यम से लगातार तैयारी की जा रही है. डीएम ने बाराचट्टी प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि ऐसे लोग जो अभी अफीम की खेती में संलग्न है, जो अफीम के खेती कर रहे है और करवा रहे है उनके बारे में प्रशासन को सूचित करें.
अस्थाई रूप से खेती करने के लिए दिया जाएगा भूमि
जिलाधिकारी ने कहा कि वन प्रमंडल पदाधिकारी इस अभियान के नोडल पदाधिकारी हैं. इनके माध्यम से सराहनीय कार्य किया जा रहा है. वैसे भूमिहीन व्यक्ति जिसके पास भूमि नहीं है उन्हें वन विभाग के माध्यम से अस्थाई रूप से खेती करने के लिए भूमि दिया जाएगा. वहीं नॉन फॉरेस्ट क्षेत्र में मनरेगा, कृषि विभाग के माध्यम से तालाब भी बनाए जाएंगे. खाली पड़े वन भूमि पर तेजी से वृक्षारोपण के लिए योजना बनाया जा रहा है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों, वन विभाग, एनसीबी, कृषि पदाधिकारी, अर्धसैनिक बल से अनुरोध किया कि सभी मिलकर यह संकल्प ले कि वे अफीम की खेती करने वालो को इसे छोड़ने और वैकल्पिक फसल लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर जागरूक करेंगे.
पिछले वर्ष लगभग 467 एकड़ क्षेत्र में लगे अफीम की खेती को नष्ट किया गया था. इस बार भी ड्रोन सर्वे किया गया है और इस बार भी लगभग उतने ही क्षेत्र में अफीम की खेती की जा रही है. अफीम की खेती ने हमारे सभी विकास कार्य को पीछे कर दिया है. इसका एकमात्र उपाय यह है कि अफीम की खेती छोड़कर हम बाराचट्टी क्षेत्र में वैकल्पिक फसल के रूप में लेमन ग्रास की खेती करें. -अभिषेक कुमार, वन प्रमंडल पदाधिकारी