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झाड़ फूंक से मृत युवक को जिंदा नहीं कर पाया ढोंगी ओझा... तो परिवार को श्रापित बता गांव से निकलवाया - bihar news

बिहार के गया के सिकहर गांव में 2 युवकों की मौत (Two People Died) बीमारी से हो गई थी. गांववाले इसे रहस्यमयी बीमारी मान रहे थे. इसी बीच ओझा ने मृत को जीवित करने का दावा किया और घंटों झाड़ फूंक का ढोंग करता रहा. जब ओझा को लगा कि उसकी पोल खुल जाएगी तो उसने पीड़ित परिवार को श्रापित बता दिया और गांव से निकलवा दिया. पढ़िए पूरी खबर..

Two People Died in gaya
Two People Died in gaya

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Published : Sep 13, 2021, 1:45 PM IST

गया:आज भी लोग किस तरह से ओझा तांत्रिक के चक्कर में पड़ते हैं गया जिले के मानपुर प्रखण्ड (Manpur Block) के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सिकहर गांव (Sikhar Village) में इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला. दरअसल गांव में दो युवकों की मौत बीमारी से हो गई थी. परिजन और ग्रामीण इसे रहस्मयी मौत मान रहे थे. इसी बीच एक युवक के मृत शरीर को जिंदा करने के लिए ओझा ने अंधविश्वास (Superstition) का खेल खेला. काफी देर तक ड्रामा चलता रहा लेकिन जब मृत युवक जिंदा नहीं हुआ तो ओझा ने इसे अभिशाप करार दे दिया और मृतक के परिजनों को गांव से बाहर करने का आदेश दिया.

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मृतक के परिवार को गांव से बाहर निकालने के लिए गांव में पंचायत की गई. पंचायत में परिवार को गांव से निकालने का तुगलकी फरमान सुना दिया गया. इस मामले को लेकर पुलिस के पास शिकायत दर्ज नहीं हुई लेकिन पीड़ित पक्ष को गांव में वापस रहने दिया जाए इसे लेकर पुलिस ने प्रयास किया. हालांकि पुलिस के लाख समझाने के बावजूद ग्रामीण नहीं मानें.

दरअसल मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सिकहर गांव में दो दिनों के भीतर बीमारी से दो लोगों की मौत हो गयी थी. जबकि एक महिला का गंभीर हालत में इलाज जारी है. गांव वाले और मृतक के परिजन इसे रहस्मय मौत मान रहे थे. भूत प्रेत के चक्कर में ओझा ने एक मृतक को जिन्दा करने का दावा किया था. परिजनों ने ओझा की बात मानकर झाड़-फूंक भी करायी. कई घंटे बाद थक हारकर मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिया गया था.

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ओझा जब मृत व्यक्ति को जिंदा नहीं कर सका तो ओझा ने कहा मृतक के परिवार पर अभिशाप है. इसे गांव से बाहर करोगे तो किसी की मौत नहीं होगी. उसके बाद गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर मृतक के छह सदस्यीय परिवार को गांव से बाहर जाने का आदेश दे दिया.

मुफस्सिल थाना के थानाध्यक्ष अविनाश कुमार ने कहा कि पीड़ित परिवार की सूचना मिली थी. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस पदाधिकारी के साथ पुलिस टीम गांव में पहुंची. गांव के लोग अंधविश्वास के चक्कर मे फंसे हुए हैं. वो लोग बात नहीं समझ रहे है. इस संबंध में लिखित शिकायत नहीं आई है लेकिन हमलोग पीड़ित परिवार को गांव में वापस लाएंगे.

फिलहाल पीड़ित परिवार अपने रिश्तेदार के यहां शरण लिए हुए हैं. बता दें कि सिकहर गांव के सूरज मांझी, मोहन मांझी, महेंद्र मांझी सहित छह सदस्य अपने मवेशियों के साथ दूसरे गांव में रिश्तेदार के यहां शरण लेने को विवश हैं. पुलिस लगातार ग्रामीणों को समझाने की कोशिश कर रही है लेकिन ग्रामीण कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.

आज हम चांद तक पहुंच गए हैं. साइंस की दुनिया में हर नामुमकिन को मुमकिन करने का प्रयास निरंतर किया जाता है. लेकिन अंधविश्वास की जड़े आज भी हमारे समाज में किस हद तक गड़ी हुई है इसकी बानगी गया के सिकहर गांव में देखने को मिल रही है. अब पीड़ित परिवार को न्याय का इंतजार है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि पुलिस कब तक पीड़ित परिवार की मदद कर पाती है.

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