दरभंगा :17वीं लोकसभा के चुनाव में बिहार के मिथिलांचल की महत्वपूर्ण सीट दरभंगा में राजनीतिक गुटबंदियों के बाद एकबार फिर मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच है. इस क्षेत्र में एक ओर जहां जाति और धर्म के समीकरण अपनी जगह कायम हैं, वहीं प्रत्याशी अपनी साख और पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए कायरें के इतिहास और वादों को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं.
नौ प्रत्याशी मैदान में
इस चुनाव में दरभंगा से कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं, परंतु राजग की ओर से भाजपा और विपक्षी दलों के महागठबंधन की ओर से राजद का आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि, दोनों गठबंधनों के समीकरण और उम्मीदवार बदलने के बाद मुकाबला दिलचस्प बन गया है.
पिछली बार त्रिकोणीय था मुकाबला
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के कीर्ति आजाद राजद के अली अशरफ फातमी को लगातार दूसरी बार हराकर संसद पहुंचे थे. मुस्लिम और ब्राह्मण बहुल मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में पिछले चुनाव में जदयू ने संजय झा को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था.
2014 के आकड़ें
2014 में कीर्ति आजाद को जहां 3,14,949 मत मिले थे, वहीं फातमी को 2,79,906 मतों से संतोष करना पड़ा था. जदयू के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में ये तीनों प्रत्याशी यहां नहीं हैं.
राजद ने लगाई पूरी ताकत
इस चुनाव में दरभंगा पर एक दशक से चल रहे कब्जे को बरकरार रखने के लिए भाजपा ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं अपनी परंपरागत सीट को पुन: पाले में करने के लिए राजद ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है. भाजपा और राजद दोनों ने स्थानीय उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.
भाजपा ने बिरौल अनुमंडल के पररी गांव निवासी पूर्व विधायक गोपालजी ठाकुर को मैदान में उतारा है, तो राजद अपने वर्तमान विधायक बेनीपुर अनुमंडल के रूपसपुर गांव निवासी अब्दुलबारी सिद्दिकी को चुनावी जंग में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है.
कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति आजाद