बिहार

bihar

ETV Bharat / city

'ऑफिस-ऑफिस' के 'शुक्ला जी' याद हैं न, इन दिनों दरभंगा में हैं

संजय मिश्रा ने कहा कि वे यहां अपनी फिल्म 'हैश टैग गढ़वी' लेकर आए हैं. वे कोशिश करते हैं कि यहां की मिट्टी की महक और दरभंगिया चाल-ढाल को छोड़े नहीं. अपने ठेठ अंदाज में दरभंगा की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि 'रहबै ओकरा में'

sanjay mishra
sanjay mishra

By

Published : Feb 8, 2020, 8:34 AM IST

Updated : Feb 8, 2020, 12:05 PM IST

दरभंगा:7वें दरभंगा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करने मशहूर बॉलीवुड एक्टर संजय मिश्रा पहुंचे. उनके साथ उनकी फिल्म 'हैशटैग गढ़वी' के निर्देशक गौरव बक्शी भी मौजूद रहे. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अभिनेता ने कहा कि दरभंगा तो खून में शामिल है. उन्होंने कहा कि ये दरभंगा उनके दादा जी और पिताजी का दरभंगा है. उन्होंने कहा कि वे कार्यक्रम के बाद अपने गांव सकरी के नारायणपुर भी जाएंगे.

ठेठ अंदाज में दरभंगा की तारीफ
संजय मिश्रा ने कहा कि वे यहां अपनी फिल्म 'हैश टैग गढ़वी' लेकर आए हैं. फिल्मों में पात्रों को जीने और उन पात्रों के दरभंगा के साथ संपर्क के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस दिन पर्दे पर ऐसे पात्र उन्हें जीने के लिए मिल जाएंगे उस दिन वे गंगा नहा लेंगे. लेकिन वे कोशिश करते हैं कि यहां की मिट्टी की महक और दरभंगिया चाल-ढाल को छोड़े नहीं. अपने ठेठ अंदाज में दरभंगा की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि 'रहबै ओकरा में'

7वें दरभंगा अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में संजय मिश्रा

'सौभाग्यशाली हूं कि लीक से हट कर फिल्में करने का मौका मिला'
संजय मिश्रा की फिल्में व्यवसायिकता के साथ-साथ आर्ट फिल्मों का भी अनुभव कराती हैं. राष्ट्रीय होने के बावजूद उनमें क्षेत्रीयता का एहसास होता है. इस बारे में बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि जब वे एनएसडी में पढ़ते थे तब श्याम बेनेगल, केतन मेहता और सईं परांजपे की फिल्में देखा करते थे. वहीं से उन्हें इस कलात्मकता की प्रेरणा मिली. उन्होंने ये भी कहा कि वे सौभाग्यशाली अभिनेता हैं जिसे निर्माता-निर्देशकों ने केवल कॉमेडी के बजाए 'आंखों देखी' और 'गढ़वी' जैसी लीक से हट कर फिल्में करने का मौका दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'सबसे अच्छी फिल्म और सबसे अच्छा दौर आना अभी बाकी'
अपने पिता को याद करते हुए अभिनेता ने कहा कि अगर आज उनके पिताजी होते तो वे बहुत खुश होते. उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग कहते हैं कि वे घर से भाग कर एक्टर बने, लेकिन मैं ऐसा व्यक्ति हूं, जिसे उनके माता-पिता ने घर से मार कर मुंबई भगाया और अभिनेता बनाया. उन्होंने कहा कि वे ये सोच कर मुंबई नहीं गए थे कि अभिनेता बनेंगें बल्कि कैमरामैन, लाइट मैन जैसे काम करने को भी वे तैयार थे, लेकिन लोगों ने उनसे कहा कि उनके एक्सप्रेशन काफी अच्छे हैं उन्हें एक्टिंग करनी चाहिए, इसी कारण वे धीरे-धीरे एक्टिंग की ओर ही बढ़ते गए. मिश्रा ने कहा कि उनकी जिंदगी में सबसे अच्छी फिल्म और सबसे अच्छा दौर आना अभी बाकी है.

Last Updated : Feb 8, 2020, 12:05 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details