बिहार

bihar

ETV Bharat / city

अंग्रेजों की कठोर यातनाएं भी हौसले को नहीं डिगा सकी, ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जगदीश सिंह - indipendence day celebration 2019

छपरा के स्वतंत्रता सेनानी जगदीश सिंह ने अंग्रजों से जमकर लोहा लिया. भारत छोड़ो आंदोलन के समय पुलिस थाने, पोस्ट ऑफिस और रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया. छपरा जेल में पुलिस की याताएं झेली. लेकिन अंग्रजों के आगे झुके नहीं.

स्वतंत्रता सेनानी जगदीश सिंह

By

Published : Aug 13, 2019, 4:22 PM IST

Updated : Aug 15, 2019, 8:15 AM IST

छपरा: देश सैकड़ों वर्ष तक अग्रेजों के चुंगल में रहा. आखिरकार 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली. गुलामी की जंजीर से आजादी दिलाने में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. सारण जिले के स्तंत्रता सेनानी जगदीश सिंह ने भी देश को आजाद कराने में अपना अहम योगदान दिया. अंग्रजों से लोहा लेने वाले जगदीश सिंह के किस्से आज भी सारणवासियों की जुबां पर है.

स्वतंत्रता सेनानी जगदीश सिंह पर हमारे संवाददाता की रिपोर्ट

आज पुरे देशवासी स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं. आजादी में अहम योगदान देने वाले मां भारती के सच्चे सपूतों को नमन कर रहे हैं. अंग्रजों से स्वतंत्र कराने में आजादी के दिवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी. त्याग और बलिदान ने देश को स्वतंत्र कराया. वहीं, मांझी थाना क्षेत्र के मझनपुरा गांव के मूल निवासी जगदीश सिंह का योगदान कम नहीं रहा. इन्होंने अंग्रजों से लोहा लिया. हर प्रकार के कष्टों को झेला. स्वतंत्रता सेनानी जगदीश सिंह की बहादुरी के किस्से काफी चर्चित हैं. अंग्रेजों के दिए यातनाओं को याद कर उनके पुत्र कांप उठते हैं.

रामाकांत सिंह

'अंग्रेजों की यातनाओं से नहीं डरे'
पुत्र रमाकांत को पिता की बहादुरी पर गर्व है. पुत्र रामाकांत सिंह कहते हैं, 'अग्रजों ने पिता जी को काफी यातनाएं दीं. लेकिन, फिर भी पिताजी उनके आगे झुके नहीं.' उन पर आजादी की धुन ऐसी सवार थी कि सारी यातनाओं को हंस कर झेलते गए. पुत्र रामाकांत सिंह ने ईटीवी भारत के कैमरे पर पिता से जुड़ी कई दस्तावेज भी दिखाए.

पिता से जुड़े दस्तावेज दिखाते पुत्र रामाकांत

थाना और रेलवे स्टेशन को किया था आग के हवाले
पिता जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की बिगुल फूंकी थी. 17 अगस्त 1942 का वो दिन, जब सिताब दियारा निवासी और महान स्वतंत्रता सेनानी महेंद्र नाथ सिंह की अगुवाई में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मैदान में उतर गए. हजारों सेनानियों ने मांझी थाना, पोस्ट ऑफिस और रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया. वहीं मांझी-बलिया रेल लाइन को उखाड़ कर यातायात बाधित कर दिया.

मांझी पोस्ट ऑफिस

एक साल तक रहे भूमिगत
इस घटना का बाद जगदीश सिंह भूमिगत हो गए. करीब एक साल तक अंग्रजों की आंखों में धूल झोंक देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाते रहे. हालांकि एक साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आए. जगदीश सिंह को एक साल तक छपरा जेल में रहना पड़ा. जेल में काफी यातनाओं से गुजरना पड़ा. आलम यह रहा कि जबतक जिंदा रहे कमर और शरीर में दर्द उनका साथी रहा. स्वतंत्रता सेनानी महेन्द्र नाथ सिंह की पत्नी अब काफी बुजुर्ग हो गईं हैं. केन्द्र सरकार की तरफ से 28 हजार और बिहार सरकार से 5 हजार रुपये की पेंशन राशि मिलती है. जिससे उनका गुजारा हो रहा है.

पिता की तस्वीर के साथ पुत्र रामाकांत सिंह
Last Updated : Aug 15, 2019, 8:15 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details