छपरा: लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में माहौल गर्म है. ऐसे में मतदाताओं का महत्व सबसे ज्यादा हो जाता है. आज हम आपको एक ऐसे वोटर से मिलाते हैं जो आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में मतदान कर चुका है. ये हैं सारण जिले के रामचंद्र मांझी, जिनकी उम्र 89साल है.
रामचंद्र मांझी का जन्म 1930 में हुआ था, लोककवि भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके मांझी आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे चुके हैं. बिहार में अपनी लोकगीतों के माध्यम से परचम लहराने वाले रामचंद्र मांझी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा संगीत नाट्य अकादमी से भी सम्मानित किया जा चुका है.
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए किया है काम
सूरत मांझी के 89वर्षीय बेटे रामचंद्र मांझी सारण जिले के तुजारपुर गांव के रहने वाले हैं. लोककवि भिखारी ठाकुर के साथ लौंडा नाच के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करने वाले रामचंद्र मांझी का कहना है कि पहले की चुनावी प्रक्रिया और आज की चुनावी प्रक्रिया में बहुत ज्यादा अंतर है, क्योंकि पहले बैलेट से वोट देते थे और अब बटन दबाकर मताधिकार का प्रयोग करते हैं.
रामचंद्र माझी, बुजुर्ग वोटर 'आज के नेताओं को नहीं आता बात करने का तरीका'
रामचंद्र मांझी अपनी यादों को साझा करते हुए कहते हैं कि पहले के नेताओं का पहनावा देखकर ही लग जाता था कि यह नेता जी हैं. लेकिन अब तो सफ़ेद रंग का कपड़ा पहनकर आने वाले नेताओं के दिल में कुछ और होता है. उन्होंने कहा कि अभी के नेता न तो वोट मांगने आते हैं और न ही उन्हें किसी बुजुर्ग से बात करने का तरीका आता है.
89 साल की उम्र में फिर से वोट देने का जज्बा
इस बार भी रामचन्द्र मांझी अपना बहुमूल्य वोट देकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने का मन बनाए हुए हैं. उनका कहना है कि सारण संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में आगामी 6 मई को होने वाले चुनाव के दिन अपना वोट उसे ही देंगे जो व्यवहारिक और मिलनसार हो और जिसमें समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो.