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व्यवसायियों की मनमानी से बुनकर परेशान, धागे का दाम बढ़ाने से ऑर्डर हो रहे कैंसिल

बिहार के भागलपुर के बुनकरों (Bhagalpur Weavers) को धागा व्यवसायियों के मनमानी का खामियाजा उठाना पड़ रहा है. धागे की कीमत में बेतहाशा वृद्धि कर दी गई है. जिसके कारण बुनकर, बाजार की मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर..

Silk City Bhagalpur
Silk City Bhagalpur

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Published : Oct 28, 2021, 12:35 PM IST

भागलपुर: रेशमी शहर भागलपुर (Silk City Bhagalpur) में बुनकरों का कारोबार त्योहार के मौसम में भले ही बढ़ा था, लेकिन उनके कारोबार को धागा व्यवसाय की नजर लग गई है. देश भर के बाजारों में भागलपुरी सिल्क साड़ी (Bhagalpur Silk Saree) की डिमांड काफी हो रही है. 150 करोड़ की साड़ियों की मांग की गई है. ऐसे में धागे की खपत को देखते हुए धागा व्यवसायियों ने धागे की कीमत में वृद्धि कर दी है.

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बुनकरों के मुनाफे पर धागा व्यवसायियों ने हकमारी कर ली है. मनमाने तरीके से एक माह में 100 से लेकर 1200 तक धागों की कीमत बढ़ा दी गई है.ऐसे में साड़ी की कीमत करीब 200 से 400 बढ़ गई. इतना ही नहीं बुनकरों का मुनाफा भी घट गया है. अब बुनकरों को एक साड़ी तैयार करने में 50 से 80 रुपये तक का ही मुनाफा हो रहा है.

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शहर के एक दर्जन व्यवसायी धागों के कारोबार से जुड़े हुए हैं. 1 माह पूर्व 250 रुपये प्रति किलोग्राम जिन धागों की कीमत थी, उनकी कीमत अब 350 कर दी गई है. यहां लीलन कपड़ों का बड़ा बाजार है. ज्यादातर बुनकर लीलन की साड़ियां तैयार कर रहे हैं. अगस्त में लीलन धागे 700 रुपये प्रति किलो थे. इनकी कीमत भी अब बढ़कर 1200 हो गई है. चाइना व कोरिया के सिल्क धागे 4000 से बढ़कर 6500 रुपये प्रति किलो, बिस्कोस धागों की कीमत 250 रुपये से बढ़कर 350 रुपये प्रति किलो और देसी रेशमी धागों की कीमत 3200 से बढ़कर 4400 रुपए प्रति किलो हो गई है.

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कोरोना काल का कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था. लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी बढ़ गई थी. त्योहारों के सीजन में कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा. बुनकरों को भी काम मिलने लगा. भागलपुर के बुनकरों की आमदनी में तो इजाफा तक हुआ. डिमांड इतनी होने लगी थी कि कई बार तो कई ऑर्डर कैंसिल करने की भी नौबत आ गई थी. लेकिन धागे की बढ़ती कीमतों ने बुनकरों को एक बार फिर से परेशानी में डाल दिया है.

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कपड़ा व्यवसाय तहसीन ने बताया कि पहले कभी धागे के दाम इतने नहीं बढ़े थे. इस बार धागे का दाम 20% से अधिक बढ़ गया है. इससे पहले 50 रुपये से 60 रुपये तक दाम बढ़ते थे. उन्होंने कहा कि भागलपुर में सूत मिल नहीं होने की वजह से ऐसा हो रहा है. भागलपुर में यदि सूत मिल हो जाएगा, तो धागे के दाम नहीं बढ़ेंगे.

बता दें कि भागलपुर में धागे का रेट तय नहीं है, जबकि यहां के अलावा अन्य शहरों में धागे का रेट फिक्स है. तय कीमत से अधिक कोई भी धागा कारोबारी बुनकरों से मूल्य नहीं वसूलता है. धागे की कीमत बढ़ने के कारण बुनकरों को जो आर्डर मिले थे, वह अब कैंसिल होने लगे हैं.

व्यसायियों का कहना है कि 15 दिन पहले जिस रेट में साड़ियां डिलिवर करना तय हुआ था, आज धागे की बढ़ी कीमत की वजह से उस कपड़े का रेट भी बढ़ गया है. इसलिए कारोबारी अपना ऑर्डर कैंसिल कर रहे हैं. तहसीन ने बताया कि उनका खुद का 40 लाख रुपए से अधिक का आर्डर पेंडिंग पड़ा हुआ है. वहीं कारोबारी पुराने रेट पर कपड़े का मांग कर रहे हैं, जो धागे की बढ़ती कीमतों की वजह से मुमकिन नहीं है.

बुनकर संघर्ष समिति सदस्य अलिम अंसारी ने बताया कि भागलपुर में अभी लीलन कपड़े की मांग अधिक है. लीलन का धागा पहले कोलकाता से आता था. कोलकाता में कोरोना के कारण मिल बंद है. ऐसे में मुंबई और पुणे से धागा आ रहा है और उस धागे में ट्रांसपोर्टेशन अधिक लग रहा है. जिस वजह से धागे की कीमत बढ़ी हुई है. वहीं धागा व्यवसायी भी मनमानी कर रहे हैं. धागा व्यवसाय कपड़े की मांग को देखते हुए धागे को स्टॉक कर दाम बढ़ा कर बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि भागलपुर में धागे का रेट तय कर दिया जाय, ताकि कोई भी अधिक कीमत पर धागा नहीं बेच सके.

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