भागलपुर: रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia Ukraine war) का असर सिर्फ शेयर मार्केट तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इसका असर छोटे मोटे उद्योगों पर भी है. भागलपुर का रेशम उद्योग भी उन्हीं में से एक है. रूस यूक्रेन के युद्ध से रेशम का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार धड़ाम हो चुका (Russia Ukraine war effect on Bhagalpuri silk) है. एक जानकारी के मुताबिक 50 प्रतिशत ऑर्डर 'यूक्रेन से उठते धुएं' की वजह से ठप पड़ गए. भागलपुरी रेशम का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंदा पड़ गया है.
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कई बार एक्सपोर्टर अपनी मनपसंद डिजाइन और पैटर्न देकर भी बुनकर से दुपट्टा एवं रेशम के कपड़े को तैयार करवाते हैं. बुनकरों से बात करने के दौरान पता चलता है कि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते बड़े बड़े एक्सपोर्टर्स के ऑर्डर मिलने बंद हो गए हैं. बुनकर जब एक्सपोर्टर से बात करते हैं तो एक्सपोर्टर्स का कहना है कि भागलपुरी रेशम और दुपट्टे की मांग रूस और यूक्रेन में काफी ज्यादा थी. युद्ध जैसे हालात पैदा होने के बाद से ही यूक्रेन से ऑर्डर आने बंद हो गए हैं. नतीजा ये हुआ कि भागलपुर के रेशम बाजार मंदा पड़ गया. बुनकरों की आर्थिक हालत भी काफी ज्यादा खराब हो गई है.
मोहम्मद इबरार अंसारी भागलपुर रेशम का कारोबार कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. उन्हें भी रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बड़े ऑर्डर नहीं मिल पा रहे हैं. उनका कहना है कि रूस में भागलपुरी रेशम की काफी ज्यादा डिमांड है. भागलपुर के बुनकर बेंगलुरु, दिल्ली एवं कोलकाता के एक्सपोर्टर के माध्यम से अपना माल विदेशों में भेजते हैं. लेकिन रूस का काफी ऑर्डर एक्सपोर्टर के माध्यम से आता था. वह आगे बताते हैं कि 1 महीने में लगभग 25 से 50 करोड़ का ऑर्डर रूस से मिलता था.
वहीं एक युवा बुनकर तहसीन अंसारी कहते हैं कि रूस और यूक्रेन में हो रहे युद्ध की वजह से लगभग हम लोगों को 50 फ़ीसदी से ज्यादा ऑर्डर का नुकसान हुआ है. जितना ऑर्डर सामान्य तौर पर रहता था, उससे लगभग 50 फीसदी ऑर्डर कम हो गया है. रशिया में लोग भागलपुरी रेशम एवं स्टॉल को पसंद करते थे. जबकि यूक्रेन से भी लिनन का बड़ा ऑर्डर मिला करता था. हम लोग यही चाहते हैं कि जल्दी से युद्ध समाप्त हो जाए ताकि हम लोगों का कारोबार फिर से सामान्य रूप से चल सके.