भागलपुर: बिहार मेंपंचायत चुनाव(Panchayat Election 2021) को लेकर माहौल गरमाया हुआ है. प्रत्याशी वोटरों को अपने अपने पक्ष में करने के लिए गोलबंद करने की कोशिश में जुट गये हैं. ऐसे में ईटीवी भारत पहुंचा भागलपुर जिले के सनहौला प्रखंड के अरार पंचायत (Arar Panchayat), यहां मुखिया की जीत-हार में आदिवासी वोट अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन गांव का आज तक विकास नहीं हो सका है, जिसके कारण लोगों में गहरी नाराजगी है.
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आदिवासियों को मिलने वाली सुविधाएं नगण्य है. इसका मुख्य कारण आदिवासी समुदाय में आदिवासियों का कोई बड़ा नेता न होना माना जा रहा है. अरार पंचायत में कुल 4893 वोटर हैं, जिसमें से पुरुष मतदाता 2578 हैं और महिला मतदाताओं की संख्या 2315 है. 4893 वोटरों में 20 प्रतिशत आदिवासी समुदाय के वोटर शामिल हैं.
"पीने के पानी के लिए घर से दूर करीब 1 किलोमीटर जाना पड़ता है. कपड़ा धोना, नहाना और बर्तन धोने का काम गांव के केनुआ तालाब में करते हैं. 15 साल पहले घर बनाने के लिए 15 हजार मिला था. उस पैसे से घर का निर्माण नहीं हो सका तो साहूकार से कर्ज लेकर घर का निर्माण कराया."- सरस्वती, फुलबडिया गांव निवासी
आदिवासियों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन ग्राम पंचायत के मुखिया की मनमानी के चलते उन तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. मूलभूत सुविधाओं सहित शासन की कई योजनाओं से अरार पंचायत के फुलबडिया गांव के आदिवासी वंचित हैं. पीने का पानी तक लोगों को नसीब नहीं होता है. इसके अलावा शौचालय, बिजली, मकान जैसी सुविधाओं से भी लोग आज तक वंचित है.
"न पानी की व्यवस्था है और न शौचालय की. पीने के लिए पानी भी चापाकल से लाते हैं. घर के आगे में नल लगा हुआ है. नल से कभी-कभी पानी आता है. नहाना, कपड़ा धोना, और बर्तन धोने का काम तालाब में करते हैं."- बिट्टी,फुलबडिया गांव निवासी
आदिवासियों का आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम होने के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिला है. गांव में ऐसे कई परिवार हैं जिनके पास रहने को मकान तक नहीं है. जिसके कारण ये लोग कच्चा मकान में रहने को विवश हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में पंचायत की रहने वाली सरस्वती ने बताया कि उनके गांव में पानी की व्यवस्था तो ठीक है, घर के आगे नल लगा दिया गया, लेकिन पानी कभी 8 दिन बाद तो कभी 5 दिन बाद मिलता है.