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लोकसभा चुनाव: 'मंडल कार्ड' खेल रही NDA के लिए आसान नहीं भागलपुर की डगर

बीजेपी का गढ़ भागलपुर इस बार जदयू के खाते में गया है. यहां पार्टी मंडल कार्ड खेलना चाह रही है. लेकिन एनडीए के लिए यह राह आसान नहीं होगी.

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Published : Mar 23, 2019, 5:24 PM IST

भागलपुर: लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही एनडीए और महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. लंबे वक्त से इस सीट को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था. पिछले बार बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने चुनाव लड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जदयू के खाते में गयी हैं. यहां से इसबार जदयू के अजय मंडल यहां से चुनाव लड़ेंगे.

मंडल कार्ड खेलना चाहती है जदयू
जातीय समीकरण की बात करें तो भागलपुर में गंगोत्री मंडलों की संख्या भारी मात्रा में हैं. राजनीतिक दल भी इस वोट बैंक को साधने की कोशिश में लगे हैं. मंडल बाहुल्य इलाका होने की वजह से इस जाति का वोट काफी मायने रखता है. इसी कारण नाथनगर के वर्तमान विधायक अजय मंडल को आगे रखकर जदयू भागलपुर में मंडल कार्ड खेलना चाहती है, ताकि राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को हराया जा सके.

बीजेपी का गढ़ रहा है भागलपुर
हालांकि यह इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता हैं. स्थानीय इस बार भाजपा को सीट नहीं मिलने से काफी नाराज दिख रहे हैं. पिछले 5 साल में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन ने पूरे क्षेत्र में अपना दौरा जारी रखा था ताकि बीजेपी की दावेदारी मजबूती से पेश की जा सके, बराबरी के खेल में यह सीट जदयू को चली गई. देखना होगा कि बदलाव के कारण इस चुनाव में स्थानीय जनता की नाराजगी कहीं एनडीए को भारी ना पड़ जाए.

NDA के लिए आसान नहीं भागलपुर की डगर
विधायक अजय मंडल के कार्यकाल और उपलब्धि की बात करें तो उन्हें क्षेत्र के विकास से बहुत ज्यादा मतलब नहीं है. पिछले विधानसभा के चुनाव में सिर्फ मंडल होने का फायदा उन्हें मिला था और बड़ी आसानी से अजय मंडल ने एलजेपी के उम्मीदवार अमर कुशवाहा को पटखनी दी थी. विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद के एक साथ होने की वजह से अजय मंडल बड़ी आसानी से चुनाव जीत गए थे. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव 2019 की डगर काफी मुश्किल भरी दिखाई दे रही है.

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