बेगूसराय: जिले में स्थित बखरी इस्माइल शाह का मजार बखरी का सांस्कृतिक विरासत है. यह मजार कई सालों से हिंदू और मुस्लिम की एकता का प्रतीक बना हुआ है. इस मजार पर प्रत्येक साल उर्स मेला का आयोजन किया जाता है. यहां बड़ी संख्या में दोनों धर्मों के लोग चादर पोशी के लिए आते हैं और सलामती की दुआ मांगते हैं.
बेगूसराय: बखरी इस्माइल शाह के मजार पर उर्स मेला का आयोजन, मेले में दिखे हिंदू-मुस्लिम एकता के रंग
40 साल पुराने बखरी इस्माइल शाह के मजार पर एक दिवसीय उर्स मेला का आयोजन किया गया. इस मेले के दौरान हिंदू-मुस्लिम एकता के रंग भी देखने को मिले. देर रात तक मेले में कव्वाली के मुकाबले पर दर्शक झूमते नजर आए.
मुफ्त में स्टॉल लगाते हैं हिंदू
यह मजार लगभग 40 साल पुराना है. तब से ही यहां बड़ी संख्या में लोग चादर पोशी और सलामती की दुआ मांगने आते हैं. हिंदू धर्म के लोग यहां बड़ी संख्या में मुफ्त में स्टॉल लगाकर आने वाले अतिथियों का स्वागत करते हैं. हर साल की तरह इस साल भी इस मजार पर एक दिवसीय उर्स मेला का आयोजन किया गया. मेले में देर रात तक कव्वाली के मुकाबले पर दर्शक झूमते नजर आए. एक परंपरा के तहत मजार पर पहली चादर शकरपुरा स्टेट ने चढ़ाई.
कन्हैया ने पेश की आस्था की मिसाल
बता दें कि हाल ही में मक्खाचक के कन्हैया राय ने सीने पर 10 कलश स्थापना कर मां दुर्गा की अराधना की थी. उन्होंने बिना जल ग्रहण किए दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की साधना की थी. दुर्गा पूजा समाप्त होते ही वह इस मेले में नजर आए. इस मेले में उन्होंने स्टॉल लगाकर मुफ्त में लोगों के लिए चाय और पानी की व्यवस्था की. हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों में उनकी समान आस्था है.