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पटना: रिन्यूएबल एनर्जी ट्रेड को लेकर कार्यशाला का आयोजन - बिजली

सीड के अधिकारी ने बताया कि बिहार तेज गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है. यहां पर अक्षय ऊर्जा में तमाम संभावनाएं हैं. राज्य में अभी अक्षय ऊर्जा का योगदान केवल 326.15 मेगावाट है. यह और भी ज्यादा हो सकता है.

रिन्यूएबल एनर्जी ट्रेड को लेकर कार्यशाला का आयोजन

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Published : Jun 21, 2019, 5:35 PM IST

पटना: राजधानी के स्काडा बिजनेस सेंटर में सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. भारत और नेपाल के बीच ऊर्जा व्यापार पर ये सेमिनार आयोजित की गई. इस कार्यशाला का विषय था 'ट्रांस बाउंड्री एनर्जी ट्रेन बिटवीन इंडिया एंड नेपाल'. इस कार्यशाला में सीड के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रमापति कुमार के साथ राज्य के कई मीडिया कर्मियों ने भागीदारी ली.

'सीड' की ओर से कार्यशाला का आयोजन
कार्यशाला के दौरान सीड के अधिकारी रमापति कुमार ने कहा कि बिहार तेज गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है. यहां पर अक्षय ऊर्जा में तमाम संभावनाएं हैं. राज्य में अभी अक्षय ऊर्जा का योगदान केवल 326.15 मेगावाट है. यह और भी ज्यादा हो सकता है. उन्होंने कहा कि नेपाल में पनबिजली के जरिए 45 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है. वर्तमान में वहां मात्र 680 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.

कार्यशाला का आयोजन

'भारत और नेपाल मिलकर करें काम'
अगर भारत और नेपाल मिलकर काम करें तो नेपाल में बिजली की समस्या खत्म हो सकती है. भूटान की तरह नेपाल भी इलेक्ट्रिसिटी एक्सपोर्ट के तहत अपने जीडीपी को बढ़ा सकता है. इस दौरान रमापति जी ने नेपाल और भारत के बीच बढ़ रही कड़वाहट को दूर करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी.

रिन्यूएबल एनर्जी को मजबूत करने पर चर्चा
इस कार्यशाला का मकसद एशिया में अक्षय ऊर्जा कारोबार यानी रिन्यूएबल एनर्जी ट्रेड की पहल को मजबूत करना है. कार्यशाला के दौरान विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों ने भी रिन्यूएबल एनर्जी और कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था के लिए अपनी बातें रखीं. सभी का एक स्वर में कहना था कि कोयला जल्द ही अब इतिहास का विषय हो जाएगा. इसलिए हमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली से ऊर्जा की जरूरतों की पूर्ति पर ध्यान देना होगा.

बिजली की समस्या होगी खत्म
पूरे भारत में जहां विंड एनर्जी से 80 हजार मेगा वाट बिजली पैदा होती है वहीं बिहार में मात्र 450 मेगावाट बिजली पैदा होती है जो कि काफी कम है. बिहार को कृषि के लिए 4500 मेगावाट बिजली की जरूरत है. ऐसे में रिन्यूएबल एनर्जी पर विशेष ध्यान दिए जाने से बिजली की कमी पूरी की जा सकती है.

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