गोपालगंज: चुनाव आते ही मंत्री, विधायक विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते है, डिजिटल इंडिया की भी बात की जाती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.लोगो को आज भी मूलभूत सुविधा के लिए दर दर की ठोकरे खानी पड़ती है.
रेलवे लाइन पार कर आवागमन करते लोग
हम बात कर रहे है बिहार के गोपालगंज की,जहां कुचायकोट प्रखण्ड के मिश्रावली गांव के हजारों लोग रेलवे लाइन पार कर आवागमन करते हैं. ऐसे में कब कैसी दुर्घटना हो जाये कोई नही जानता.
जान जोखिम में डालकर आवागमन करते लोग ग्रामीणों को होती है परेशानी
एक ओर दाहा नदी तो दूसरी ओर रेलवे लाइन के बीच बसा यह गांव के लोगों के लिए समस्या बना हुआ है. मुश्किलें तब और बढ़ जाती है जब दाहा नदी अपने उफान पर होती है, जिससे यहां के लोग अपने ही गांव में कैद हो जाते है.
कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना
स्थानीय लोगों की माने तो इस गांव में सासामुसा या गोपालगंज जाने के लिए 10 किलोमीटर की लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है चाहे मरीजों की दवा करानी हो या बच्चों को स्कूल जाना हो. हालांकि गांव के बगल में ही एनएच है,.बाजार भी है. लेकिन, समस्या यह है कि गांव से निकलने के लिए दूसरा कोई रास्ता नही. मजबूरन लोगों को रेलवे लाइन पार कर बाजार जाना पड़ता है. ऐसे में कब बड़ी दुर्घटना ही जाए कोई नही जानता.
जान जोखिम में डालकर आवागमन करते लोग प्रशासन बेसुध
कई बार अधिकारियों से सड़क बनाने और दाहा नदी पर पुल बनाने की मांग की गई लेकिन कभी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस संदर्भ में जब प्रखण्ड विकास पदाधिकारी दीपचंद्र जोशी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. जानकारी मिलने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.