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गर्मी के दिनों में गमछा की बढ़ी मांग, गया से देश के कई हिस्सों में होता है सप्लाई - employment

इस भीषण गर्मी में गमछा की मांग बढ़ गई है. गया के मानपुर के पटवाटोली में हर रोज एक लाख से ज्यादा गमछा बनाया जा रहा है. रंगीन सूत मिलने के कारण अब बुनकरों को गमछा बनाने में सहूलियत होती है.

गमछा की बढ़ी मांग

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Published : May 30, 2019, 12:37 PM IST

Updated : May 30, 2019, 3:27 PM IST

गया: बिहार में गर्मी का पारा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में गर्मी से बचने के लिए लोग गमछा का उपयोग कर रहे हैं. गया के मानपुर के पटवाटोली में गर्मी को लेकर गमछा की मांग बढ़ गयी है. पटवाटोली में हर रोज एक लाख से ज्यादा गमछा बनाया जा रहा है.

गमछा की बढ़ी मांग

गर्मियों में गमछा की बढ़ी मांग
पटवाटोली उद्योग नगरी में साढ़े सात हजार पावरलूम और सौ हस्तकरघा औद्योगिक इकाई संचालित हैं. गर्मी के दिनों में हर पावरलूम में गमछा बनाया जाता है. यहां पक्के रंग का सूती और हल्का गमछा बनाया जाता है जो कि गया के मानपुर पटवाटोली से बिहार के सभी जिलों समेत झारखंड, उड़ीसा, असम और पश्चिम बंगाल जाता है.

गमछा की बढ़ी मांग

हर रोज 10 हजार किलो सूत मंगाये जाते हैं
गमछा बनाने के लिए दक्षिण भारत और पंजाब से हर रोज 10 हजार किलो सूत मंगाये जाते हैं. सूत बुनकर अपने खपत के अनुसार बांट लिए जाते हैं. उसके बाद पावरलूम और हस्तकरघा से अलग-अलग तरह के गमछे बनाए जाते हैं.

जानकारी देते बुनकर

रंगीन सूत मिलने से बुनकरों को राहत
अब बाजार में रंगीन सूत आने लगे हैं जिससे बुनकरों को काफी राहत मिलती है. पहले गमछा बनाकर उसे रंगीन किया जाता था जिससे काफी दिक्कत होती थी. गमछा का रंग भी पक्का नहीं रहता था.

क्या कहते हैं बुनकर ?

  • गर्मी शुरू होते ही गमछा की मांग बढ़ गई है.
  • लगभग 25 हजार लोगों को मिलता है रोजगार.
  • गर्मी में बिजली की है काफी समस्या.
  • अन्य राज्य के अपेक्षा अनुदान भी मिलता है कम.
  • प्रति यूनिट तीन रुपये मिलता है अनुदान.
  • उतर प्रदेश में पांच रुपए मिलते हैं अनुदान.
  • यूपी के मुकाबले खर्च ज्यादा पड़ता है.
Last Updated : May 30, 2019, 3:27 PM IST

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