पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. पटना साहिब के अतर्गत आने वाले वेटनरी कॉलेज में उन्होंने मतदान किया. मां राबड़ी देवी के साथ मीसा भारती वोट देने पहुंची थी.
'महिलाएं घर से निकलें और अपने मताधिकार का प्रयोग करें'
मतदान करने के बाद संवददाताओं से बात करते हुए मीसा भारती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला. मीसा भारती ने कहा कि मोदी भगवान के शरण में पहुंचे हैं. अब उनके जाने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस महापर्व में लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए. महिलाएं घर से निकलें और अपने मताधिकार का प्रयोग करें.
'भगवान की शरण में गए प्रधानमंत्री'पाटलिपुत्र से राजद उम्मीदवार मीसा भारती ने कहा कि लोगों ने विश्वास के साथ मोदी सरकार को 5 साल पहले वोट किया था. लेकिन उनलोगों ने ठगने का काम किया. इसलिए अब ये लोग जाने वाले हैं देश के अच्छे दिन आने वाले हैं. प्रधानमंत्री पहले से ही केदारनाथ में भगवान की शरण में चले गए हैं.
मीसा भारती और रामकृपाल यादव आमने-सामनेपाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती आमने-सामने हैं. मीसा भारती और रामकृपाल यादव की लड़ाई इसलिए भी अहम है कि दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां रामकृपाल यादव के लिए दोबारा सीट बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ मीसा भारती के लिए अपनी खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद है.
विधानसभा सीटों का समीकरणइस बार स्थिति थोड़ी उलट है. महागठबंधन के नाम पर कई दल एक साथ हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, हम, रालोसपा, वीआईपी और सीपीआई(माले) शामिल हैं. पाटलिपुत्र की विधानसभा सीटों का समीकरण भी महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौठी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा सीटें आती हैं. इन विधानसभाओं में से मनेर, मसौठी और पाली पर आरजेडी का कब्जा है. जबकि दानापुर पर बीजेपी, फुलवारी पर जदयू और विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है.
यादव बहुल है ये लोकसभा सीटजातिगत समीकरण की बात करें तो पाटलिपुत्र लोकसभा सीट यादव बहुल इलाका माना जाता है. यहां यादव मतदाताओं की संख्या करीब 5 लाख के आसपास है. वहीं, भूमिहार मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख के आसपास है. जबकि 3 लाख राजपूत और कुर्मी एवं ब्राह्मण मतदाताओं डेढ़ लाख हैं.
भूमिहार वोटरों को साधने के लिए अनंत सिंह का सहाराइस बार आरजेडी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है. भूमिहार और सवर्ण मतदाताओं को साधने के लिए अनंत सिंह भी मीसा भारती के लिए प्रचार कर रहे हैं. कभी अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने वाले तेजस्वी यादव को अब अनंत सिंह से कोई गुरेज नहीं है. वहीं, आरेजडी के लिए एक अच्छी बात ये भी है कि इस बार सीपीआई (माले) ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया है. ऐसे में मीसा की मुश्किलें 2014 की तुलना में 2019 में कम दिख रही हैं.
प्रत्याशी नहीं, एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाईबहरहाल, पाटलिपुत्र सीट से उम्मीदवार भले ही रामकृपाल और मीसा हों लेकिन प्रतिष्ठा तो यहां एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की ही लगी है. कभी लालू के हनुमान रहे मौजूदा सांसद पिछले लोकसभा चुनाव से बीजेपी के लिए राम हैं. एक जमाने में चाचा-भतीजी रहे रामकृपाल और मीसा भारती की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा. हालांकि इतना तय है कि इस हाई प्रोफाइल सीट पर मीसा के लिए पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने की जद्दोजहद है, तो दूसरी तरफ रामकृपाल के लिए दोबारा संसद पहुंचने की चुनौती भी है.