लखीसराय: जिले के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुएं का अस्तित्व खतरे में है. एक वक्त था जब लखीसराय को तालाबों के शहर से जाना जाता था. आज स्थिति विपरीत है. यहां के लोगों को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है.
अतिक्रमणकारियों ने तालाब पर किया कब्जा
लखीसराय जिलेभर में कुल 84 तालाब हैं, जिसमें शहरी क्षेत्रों में कुल 52 तालाब और 53 कुआँ है. लेकिन अतिक्रमणकारियों ने जबरन इन तालाबों पर अपना कब्जा जमा लिया है. इससे पानी के लिये चारों ओर हाहाकार मचा है.
तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर
शहर के कई तालाब पर अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा कर अपना घर, गौशाला और मंदिर बना लिया है. यहाँ तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है. शहरी क्षेत्र और आसपास के छोटे-छोटे दर्जनों जलाशयों का तो नामोनिशान मिट चुका है.
तालाबों में गंदगी का अंबार
गायब हो रहे इन तालाबों की वजह से शहर का भूजल स्तर प्रतिबर्ष पाताल की ओर जा रहा है. बहुत बड़ी आबादी जलसंकट से घिरती जा रही हैं फिर भी तालाबों को बचाने का ध्यान किसी को भी नहीं है. जिले में काफी बड़े भूभाग पर फैले इन तालाबों का दायरा सिमटता जा रहा है. अतिक्रमण और रखरखाव के आभाव में इन तालाबों में गंदगी का अंबार लगा रहता है.
प्रशासन नदारद
स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण लखीसराय के दर्जनों तालाबों का अस्तित्व मिट रहा है. दबंग लोग तालाबों को मिट्टी और कचरों से धीरे-धीरे भरकर कब्जा कर लेते हैं और कुछ ही दिनों में मोटी कीमत लगाकर बेच देते हैं.
'मामले पर सभी को पहल करने की जरूरत'
लखीसराय लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता श्री हरे राम ने बताया कि लखीसराय तालाबों का शहर था. अगर इसमे बारिश का पानी संरक्षण किया जाय तो भूजल स्तर ठीक हो जायेगा. इसके लिए सभी को आगे आकर पहल करने की जरुरत है.
क्या है हाईकोर्ट का निर्देश
आपको बता दें कि हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि तालाबों पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो तो तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये. अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों ना हो उसे हटाना हाईकोर्ट का निर्देश है. हाईकोर्ट की ओर से देशभर के डीएम को आदेश जारी किया गया है लेकिन लखीसराय प्रशासन बेसुध है.