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भागलपुर: मौसम की मार झेल रहे किसान, सरकार की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं

बारिश के अभाव में फसलें बर्बाद हो रही है. खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं. पूरे इलाके में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है जिससे किसान हताश और परेशान हैं.

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Published : Jun 17, 2019, 2:40 PM IST

बारिश के अभाव में फसल बर्बाद

भागलपुर: जिले में अब फसल के साथ-साथ किसानों के चेहरे भी सूखने लगे हैं. इस बार देर से मॉनसून आने की सूचना है. ऐसे में मौसम की मार झेल रहे किसानों की चिंता बढ़ गई है. क्षेत्र में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है, ऐसे में किसान अधिक हताश और परेशान हैं.

मौसम की मार झेल रहे किसान
किसानों ने बीते महीने हल्की बारिश होने के कारण खेतों में बुवाई की थी. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण खेतों में जो पौधे उगे थे वह जल चुके हैं. पूरा खेत सूख गया है. दरारें पड़ गई हैं. जिले में भयंकर सूखाड़ है लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक सिंचाई की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है.

पेश है रिपोर्ट

बारिश के अभाव में फसल बर्बाद
किसान बताते हैं कि लगभग 1 महीने पहले हल्की सी बारिश होने पर खेतों में मूंग की बुवाई की थी लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण मूंग की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. रोहिणी नक्षत्र में थोड़ी बारिश हुई तो आस जगी जिसके कारण हम लोगों ने खेतों में धान की बुआई की. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण वो भी नष्ट हो गया.

बारिश के अभाव में फसल बर्बाद

नहीं है कोई वैकल्पिक व्यवस्था
ऐसे में यदि उन्हें फिर से धान की नर्सरी करनी पड़े तो उनकी लागत बढ़ेगी. दोबारा बीज खरीदने पड़ेंगे जिसका किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. पूरे क्षेत्र में सरकार की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है. गांव में एक ही कुआं है जिसका जलस्तर नीचे चला गया है. पेयजल के लिये भी हाहाकार मचा है.

किसानों को नहीं मिला परियोजना का लाभ
1978 में स्थानीय विधायक सदानंद सिंह बिहार के सिंचाई मंत्री थे. उनके कार्यकाल में गंगा बटेश्वर पंप नहर परियोजना लाई गई थी. परियोजना शुरू होने से किसान काफी खुश थे कि अब उनके फसल पानी बगैर नहीं मरेंगे. लेकिन आज 40 साल बीत जाने के बाद भी पानी के अभाव में फसल पानी के अभाव में सूख रहे हैं.

भूखे मरने की कगार पर किसान
2 साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पंप परियोजना का उद्घाटन किया था. जिले के किसानों को आजतक उसका लाभ नहीं मिला. उद्घाटन के बाद थोड़ी आशा जगी थी, लेकिन वह भी निराशा में बदल गई. यहां के किसान भूखे मरने की कगार पर हैं. ऐसे में किसान पलायन करने को मजबूर है.

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