बगहा:आजवर्ल्ड टूरिज्म डे है. ऐसे में हम आपको एक खास जगह के बारे में बताने जा रहे हैं.हिमालय की पहाड़ियों के तराई क्षेत्र में अवस्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्वहालिया एक दशक के भीतर एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है. एक समय था जब आवागमन के साधन का अभाव और दस्युओं के वर्चस्व की वजह से यहां पर्यटन सेवा ठप्प पड़ गई थी, लेकिन अब वीटीआर की पहचान अंतर्राष्ट्रीय फलक पर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में हो रही है, जहां देश - विदेश से लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष भ्रमण करने पहुंचते हैं.
VTR करता है पर्यटकों को आकर्षित: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पश्चिमी चम्पारण जिले के उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास अवस्थित है, जो जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह 898.45 वर्ग किमी में यूपी और नेपाल की सीमा तक फैला हुआ है. 60 की दशक के शुरुआत से 1974 तक यह वन क्षेत्र ' वन राज्य वन विभाग' के प्रबंधन के अधीन था, लेकिन इसे 1978 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया. यहां की खूबसूरती लोगों को खूब भाती है. चारों ओर हरियाली और उसपर जंगल सफारी लोगों को आकर्षण का केंद्र बना रहता है.
ऐसे हुई थी पर्यटन की शुरुआत: वर्ष 1990 में इसे वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाने लगा, जबकि 1994 में इसे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और टाइगर प्रोजेक्ट के तौर पर देश का 18वां टाइगर रिजर्व बनने का गौरव प्राप्त हुआ. स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि 60 के दशक से 80 के दशक तक भी वाल्मीकिनगर में पर्यटन के शुरुआत की पहल की गई थी. जिसके लिए वाल्मीकिनगर के गोल चौक पर एक सूचना केंद्र बनाया गया था, जहां पर्यटक आकर जानकारी लेते थे.
कभी मिनी चंबल के नाम से था मशहूर:वहीं जंगल के बीच से गुजरने वाली जर्जर कच्ची सड़क और दस्युओं के आतंक की वजह से पर्यटन सेवा पर ग्रहण लग गया. 90 के दशक में तो यह इलाका पर्यटन स्थल की बजाय मिनी चंबल के नाम से प्रसिद्ध हो गया था. आलम यह था की एक मर्तबा बस समेत 28 इंजीनियर किडनैप कर लिए गए थे, जिनको सरकार ने पहल कर 24 घंटे के भीतर सकुशल दस्युओं के चंगुल से छुड़ाया था. यहीं वजह थी कि लोग यहां घूमने आने से खौफ खाते थे.
"एक समय था जब लोग यहां आने से डरते थे, लेकिन अब पर्यटक आते हैं. प्राकृति के गोद में वीटीआर बसा है. सड़क की सुविधा के कारण पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है."- नसीम खान, स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार
नीतीश कुमार ने बदल दी काया:जब इसे 1994 में वाल्मिकी टाइगर घोषित किया गया और उसके कुछ वर्षों बाद जैसे ही नीतीश कुमार की सरकार बनी तो पर्यटन की विकास के लिए कई कार्य किए गए. जिसके बाद इस इलाके की तस्वीर बदल गई. अब यहां देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और बताते हैं कि यह बहुत खूबसूरत जगह है.
वीटीआर आएं तो ये जरूर देखें:वहीं वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना वन प्रमंडल दो के प्रशिक्षु डीएफओ स्टालिन बताते हैं कि हमारे वन विभाग द्वारा लगातार पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है. यहां वाल्मीकि विहार, जंगल कैंप समेत कन्वेंशनल सेंटर में पर्यटकों के रहने की सुविधा दी गई है. ट्री हट और बंबू हट पर्यटकों को खूब आकर्षित कर रहे हैं. गंगेटिक और तराई लैंड होने के कारण यहां की बायो डायवर्सिटी लोगों को काफी लुभाती है.
"प्रत्येक वर्ष 4 से 5 लाख पर्यटक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर आते हैं, जिसमें श्रद्धालु भी शामिल हैं. वीटीआर में घूमने के लिए वाल्मीकीनगर, मंगुराहा, सोमेश्वर पहाड़ समेत कई तीर्थस्थल हैं. यहां जंगल सफारी, बोटिंग, कौलेश्वर झूला, गंडक नदी किनारे का पाथवे समेत इको पार्क इत्यादि कई स्पॉट हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु है. वन एवं पर्यावरण विभाग आगे और ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास में है. साथ ही इस स्थल को और ज्यादा विकसित करने की योजना है."-स्टालिन फ्रेजर, प्रशिक्षु डीएफओ, वीटीआर - 2