शिमला: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर वोटिंग अंतिम चरण में 1 जून को होनी है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं और जोर-शोर से चुनाव प्रचार भी हो रहा है. लेकिन ये लोकसभा चुनाव इन उम्मीदवारों के साथ-साथ विधायकों के लिए भी बड़ी चुनौती होने वाला है. खासकर 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले विधायकों के लिए आने वाला लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. विधानसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों को जनता ने अधिक भरोसा जताते हुए भारी मतों के अंतर से चुनाव में जीत दिलाकर विधायक बनाया था, अब उनके सामने अपनी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में लीड को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. इससे इन विधायकों की 15 महीने की लोकप्रियता सिद्ध होगी. वहीं, इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य का भी आंकलन होगा.
लीड बरकरार रही तो प्रतिद्वंदी की बढ़ेगी मुश्किलें
वैसे तो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है. हिमाचल प्रदेश में साल 2022 में हुआ विधानसभा चुनाव इसका एक उदाहरण है. केंद्र में बीजेपी की सरकार होते हुए भी यहां पर कांग्रेस ने प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को अपनी गारंटियों में शामिल कर बीजेपी को पटखनी दी थी. हालांकि फिर भी बड़े नेताओं की साख हर चुनाव में दांव पर लगी होती है. यही कुछ इस बार 1 जून को होने वाले हिमाचल के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. यहां पर प्रत्याशिओं के साथ अन्य बड़े नेताओं और विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल करने वाले प्रत्याशियों पर बड़ी जिम्मेवारी है. अगर बड़ी मार्जिन से चुनाव जीतने वाले विधायक वही प्रदर्शन दोहरा पाए तो लोकसभा चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
जयराम ठाकुर के कंधों पर मंडी का दारोमदार
मंडी जिले में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 सीटों में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस केवल एक ही सीट पर जीत हासिल कर पाई थी. इस बार लोकसभा चुनाव में मंडी की लोकसभा सीट देश की हॉट सीटों में शुमार है. यहां पर सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत और प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत की फेहरिस्त में सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का नाम शामिल है. उन्होंने सराज विधानसभा क्षेत्र से 38,183 मतों के अंतर से चुनाव जीता था.
वहीं, लोकसभा चुनाव में कंगना रनौत के जनसंपर्क अभियान में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर एक महत्वपूर्ण कड़ी है. ऐसे में अगर जयराम ठाकुर लीड को कायम रखने में सफल रहे तो इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बता दें कि सराज विधानसभा क्षेत्र हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है. 2022 में रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल करने वाले जयराम ठाकुर अगर इसी तरह का वोट शेयर कंगना के पक्ष में लाने में कामयाब हुए तो कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है.
इन विधायकों पर भी जिम्मेदारी
वहीं, विधानसभा चुनाव में दूसरी बड़ी जीत का सेहरा कांगड़ा से पवन काजल के सिर सजा था. बीजेपी के पवन काजल 19 हजार 834 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. ऐसे में अगर पवन काजल भी लीड को कायम रखने में सफल हुए तो कांगड़ा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजीव भारद्वाज को फायदा हो सकता है.
शिमला संसदीय क्षेत्र के तहत रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां 2022 के विधानसभा चुनाव में मोहन लाल ब्राक्टा 19 हजार 339 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर लीड में तीसरे नंबर पर रहे थे.
वहीं, कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से आरएस बाली भी 15 हजार 891 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे ज्यादा लीड लेने के मामले में चौथे नंबर पर रहे बाली का जादू कायम रहा तो कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा को 'आनंद' की अनुभूति प्राप्त हो सकती है.