पटना :राज्य कर्मी बनने के लिए नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास करनी है. लेकिन नियोजित शिक्षक इस परीक्षा का विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों ने प्रदर्शन की रणनीति बनाई तो शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि कोई शिक्षक प्रदर्शन करते हैं, तो उन पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी. ऐसे में बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने सक्षमता परीक्षा के प्रावधानों को बदलने की सरकार से मांग करते हुए कहा है कि यदि प्रावधान बदले नहीं गए तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा.
परीक्षा के प्रावधान शिक्षकों के खिलाफ:बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि नियोजित शिक्षक कोई परीक्षा से नहीं डरते हैं लेकिन परीक्षा के प्रावधान शिक्षकों के खिलाफ है. लाखों शिक्षक 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं और अब तक इन्हें कोई कंप्यूटर का प्रशिक्षण सरकार की ओर से नहीं दिया गया है. गिने चुने विद्यालयों में ही कंप्यूटर की पढ़ाई होती है.
ऑफलाइन मोड में लें परीक्षा :मनोज ने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से अब तक दो चरण की जो परीक्षा ली गई है वह ऑफलाइन मोड में ली गई है. नियोजित शिक्षक भी ऑफलाइन मोड में परीक्षा देना चाहते हैं. लेकिन सरकार नियोजित शिक्षकों को नीचा दिखाने और उन्हें प्रताड़ित करने के उद्देश्य से नियोजित शिक्षकों के लिए कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा आयोजित कर रही है.
"पहले ऐच्छिक स्थानांतरण की बातें सरकार की ओर से कहीं जा रही थी. लेकिन अब कह दिया गया है कि नियोजित शिक्षकों को तीन जिले का ऑप्शन देना होगा और सरकार उन्हें कहीं भी भेज देगी. यह सरासर गलत है क्योंकि रिटायरमेंट की उम्र में कई शिक्षक आ चुके हैं. जो शिक्षक तीन चार वर्षो में रिटायर हो रहे हैं वह इस प्रावधान के साथ कोई परीक्षा देना नहीं चाहते. ऐसे में अब शिक्षा विभाग ही नियम कानून को ताक में रखकर नियम बना रहा है."- मनोज कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ
परीक्षा के लिए नहीं किया जाए बाध्य : मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षकों को किसी परीक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. नई शिक्षक नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है कि जो नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा नहीं देना चाहेंगे वह अपने सेवा संवर्ग में बने रहेंगे. ऐसे में साक्षमता परीक्षा नियोजित शिक्षकों के ऊपर जबरदस्ती का थोपना उचित नहीं है. इसके विरुद्ध सड़क से न्यायालय तक वह लोग अपनी लड़ाई लड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव भी नजदीक है, इस चुनाव में राजनेताओं की परीक्षा होती है. शिक्षक हमेशा से परीक्षा लेते आए हैं और इस बार भी इस सरकार की परीक्षा ले लेंगे. सक्षमता परीक्षा के प्रावधानों में यदि सुधार नहीं होता है तो इस सरकार को आगामी लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि नियोजित शिक्षक और उनके परिवार, उनके खिलाफ मतदान करेंगे.
ये भी पढ़ें :मसौढ़ी में सक्षमता परीक्षा का विरोध, विभाग के आदेश की प्रति जलायी, 13 को विधानसभा का करेंगे घेराव