आगरा :इंटरनेशनल ताज महोत्सव में जरदोजी कला की जादूगरी को बयां किया गया. आगरा विरासत फाउंडेशन की ओर से बुधवार रात सूरसदन सभागार में “जरदोजी; हमारी धरोहर हमारी विरासत” कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बताया गया कि सोने के धागे से बुना गया तानाबाना जब आकार लेता है तो वो संसार का सर्वश्रेष्ठ नूमना जरदोजी ही कहलाता है. जिसका ऋग्वेद की ऋचाओं में जिक्र है.
जरदोजी कढ़ाई आज भी शाही घरानों की पहली पसंद :आगरा विरासत फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ रंजना बंसल ने जरदोजी का इतिहास, वर्तमान और भविष्य की संभावना पर आधारित “जरदोजी; हमारी धरोहर हमारी विरासत” समारोह के बारे में जानकारी दी. उन्होंने जरदोजी कढ़ाई की आत्मकथा बयां की. इस दौरान कला के नमूने लिए परिधानों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई. उन्होंने कहा कि आगरा में सैंकड़ों परिवार आज भी इस कला को समर्पित हैं और आर्थिक निर्भर भी हैं. ये सनातन काल की कला है. इस कला सिर्फ खाड़ी देशाें तक सीमित नहीं, अपितु विश्व के हर देश तक पहचान बनाने के लिए संकल्पित है. उन्होंने कहा कि आगरा में 15000 शिल्पकारों को विश्वभर में प्रसिद्धि दिलाने के साथ ही ताज से परे की पहचान भी स्थापित करनी है. इसे जादुई कढ़ाई कहते हैं, जो शाही कपड़ों की रौनक बढ़ा देती है. ताज हेरिटेज के फैजान उद्दीन ने बताया कि जरदोजी कढ़ाई आज भी शाही घरानों की पहली पसंद है. यदि किसी को रॉयल लुक चाहिए तो सोने के धागों की ये कारीगरी सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
इनके डिजाइन किए गए शोकेस :इस अवसर पर डॉ रंजना बंसल, अग्रज जैन, फैजानउद्दीन, अलर्क लाल, कीर्ति खंडेलवाल, सुकीर्ति मित्तल, आयुषी और फैजान, रेणुका डांग, पूजन सचदेवा समेत डिजाइनरों ने परिधानों को प्रस्तुत किया. रेशम और रत्नों की कारीगरी भी जरदोजी की कहानी का हिस्सा रही. डिजाइनर कीर्ति खंडेलवाल ने बताया कि साधारण वस्त्र पर जब जर के धागे से कारीगरी उकेरी जाती है तो वो वस्त्र साड़ी, लहंगा, कुर्ता, शेरवानी स्वतः ही कीमती हो जाता है, इसलिए खाड़ी देशाें से लेकर पश्चिमी देशाें के लिए ये कला नायाब रही है.