जोधपुर:राज्य के इस वर्ष के बजट में कृषि मंडी और खाद्य व्यापार से जुड़े लोगों का उम्मीद थी कि सरकार इस बार मंडी में अलग-अलग जींस पर लग रहे टैक्स एक और कोरोना काल में लगे किसान कल्याण सेस हटाने की घोषणा करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके विरोध में राजस्थान खाद्य व्यापार संघ, जयपुर के आह्वान पर मंडी शुल्क और किसान कल्याण शुल्क हटाने की मांग को लेकर जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में गत 23 फरवरी से हड़ताल जारी है. यह हड़ताल 2 मार्च तक चलेगी. व्यापारियों कहना है कि सरकार और अधिकारी धरातल के हालात नहीं समझ रहे हैं. हड़ताल के चलते किसानों की जींस की बोली नहीं लग रही है. अगर समाधान नहीं हुआ, तो 15 मार्च से मंडियों में होने वाली नई आवक को लेकर भी परेशानी होगी.
करोड़ों का व्यापार बाधित: जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में प्रतिदिन लगभग 5-5 करोड़ का व्यापार होता है. ऐसे में इस हड़ताल के कारण अब तक 4 दिनों में दोनों मंडियों में 40 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हो चुका है. जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा ने बताया कि बार-बार आग्रह करने के बावजूद सरकार कोरोना सेस हटाने पर ध्यान नहीं दे रही है. जिससे व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि यह मंडी टैक्स से अतिरिक्त लगता है. इससे टैक्स बढ़ गया है. इसके कारण मंडी के बाहर सीधी खरीद का नुकसान सरकार को हो रहा है.
एक जैसा हो मंडी टैक्स सभी जींसों पर: प्रदेश की मंडियों में तिलहन पर 1% , मोटे अनाज, जीरा, ईसबगोल पर 0.50% , दलहन और किराना की अन्य वस्तुओं पर 1.60% मंडी टैक्स लग रहा है. इसके अलावा, मई 2020 में कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने 0.50% कृषक कल्याण सेस अतिरिक्त रूप से वसूलना शुरू कर दिया था. मंडी शुल्क और कृषक कल्याण फीस के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. कई व्यापारी किसानों के नाम पर पड़ोसी राज्यों में कृषि जिन्स बेच रहे हैं, जिससे राजस्थान से व्यापार का पलायन हो रहा है.