प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ला और बटुक ने दी जानकारी वाराणसी: जिले में आज एक ऐसा खेल खेला गया, जिसे देख लोगों ने दातों तले उंगलियां दबा लीं. यह खेल था क्रिकेट मैच का. जहां पर सारे नियम लगभग अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के ही बराबर थे. अंतर बस इतना था कि इस खेल में की जा रही कमेंट्री संस्कृत भाषा में थी और खिलाड़ियों ने कुर्ता-धोती पहन रखा था.
संस्कृत भाषा और इसके संवर्धन के लिए लगातार प्रयास कर रहे शास्त्रार्थ महाविद्यालय (दशाश्वमेध) के 80वें स्थापनोत्सव पर संस्कृत क्रिकेट मैच का शुक्रवार को खेला गया. यह प्रतियोगिता रामापुरा के जयनारायण इंटर कॉलेज में आयोजित हुई. शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बटुकों से संस्कृत में परिचय जाना. इसके बाद उन्होंने बटुकों से बॉलिंग कराई और उनके साथ क्रिकेट खेलकर आयोजन का उद्घाटन किया. विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि संस्कृत भाषा और इसके छात्रों के उत्साहवर्धन के लिए इस प्रकार के आयोजन होते रहने चाहिए. इसके प्रचार-प्रसार में बढ़ोतरी होती है. बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए एक अवसर प्रदान करना चाहिए. चाहे वह खेल का ही क्षेत्र क्यों न हो.बता दें, कि इस खेल के दौरान संस्कृत में कमेंट्री व्याकरणशास्त्र के मूर्धन्य विद्वान डॉ. शेषनारायण मिश्र और पं. विकास दीक्षित ने किया. प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ला ने कहा कि यह आयोजन अपने आप में अनोखा है.
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संस्कृत बटुक क्रिकेट मैच का किया गया आयोजन:प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि हर साल महाविद्यालय के स्थापनोत्सव पर इस खेल का आयोजन होता है. आज 80वां स्थापनोत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान संस्कृत बटुक क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया है. बच्चे अपने पारंपरिक गणवेश में खेल रहे थे. पूरे मैच की कमेंट्री संस्कृत भाषा में की जाती है. देववाणी में कमेंट्री करने का उद्देश्य है कि समाज में एक संदेश जाए कि बटुक इस क्षेत्र में भी अच्छा काम करके दिखा सकते हैं. यह एक दिवसीय कार्यक्रम है, जो आज सुबह शुरू हुआ है. आज ही इसका समापन किया जा रहा है. फाइनल विजेता को मुख्य अतिथि द्वारा ट्राफी दी जाएगी, जबकि दूसरे स्थान के विजेता को भी मेडल देकर सम्मानित किया जाएगा.
कुछ इस तरीके से की गई खेल में संस्कृत कमेंट्री:जब मैदान में मैच खेला जा रहा था, तो वहां पर संस्कृत में कमेंट्री हो रही थी. इस दौरान कुछ इस तरह से कमेंट्री की गई थी. कन्दुक प्रक्षेपक: कन्दुकं प्रक्षिपति, तदा फलक ताडकत्वेन तीव्र गत्या प्रहरति, तदा कन्दुकं आकाश मार्गेन सीमा रेखात: बहिर्गतम्. षड्धावनाऽका: लब्धा:. इसका हिंदी में अर्थ है कि बॉलर ने बाल फेंका, बल्लेबाज ने हिट किया, बाल आकाश मार्ग से होती हुई बाउंड्री के बाहर चली गई . छ: रन प्राप्त हुए. कन्दुकस्य रेखाया: बहिर्गमनम्. अतिरिक्त एक धावनाऽका: लब्धा:. इसका हिंदी में अर्थ है- वाइड बाल , अतिरिक्त एक रन प्राप्त हुआ. सर्वे दर्शका: अति प्रसन्ना:. इसका हिंदी में अर्थ है- सभी दर्शक काफी प्रसन्न हैं. धौतवस्त्र धारिण: टीका-चन्दन कारिण: , हस्तौ फलकधारयन्त्यौ कीदृशं क्रीडाक्षेत्रस्य शोभां वर्द्धयन्ति . इसका हिंदी में अर्थ है धोती पहनकर टीक-त्रिपुंड लगाए हुए तथा हाथों में बल्ला थामे बटुक (खिलाड़ी) खेल मैदान की शोभा बढ़ा रहे हैं.
चुटियाधारी धोती-कुर्ता पहने हुए क्रिकेटरों ने खेला मैच:बता दें कि इस खेल की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी किया था. खेले गए इस मैच में सारे नियम लगभग किसी अंतरराष्ट्रीय मैच के ही समान थे. अंपायर की भूमिका में पूर्व खिलाड़ी धीरज मिश्रा और संजीव तिवारी तथा रेफरी के रूप में डॉ. अशोक पांडेय शामिल थे. इस एक दिवसीय मैच में चार टीमों ने प्रतिभाग किया. जिसमें श्री शास्त्रार्थ महाविद्यालय, इंटरनेशनल चंद्रमौलि चैरिटेबल संस्कृत संस्थान, चल्ला शास्त्री वेद-वेदांग संस्कृत विद्यालय तथा महर्षि महेश योगी संस्थान थे. संस्कृत के छात्र मंगलाचरण और वेद मंत्रों का पाठ करते हुए मैदान में उतरे. तिलकधारी और लंबी-लंबी चुटियाधारी धोती-कुर्ता पहने हुए क्रिकेटरों को देख मैदान पर उपस्थित सभी दर्शक काफी रोमांचित हो गए. संस्कृत में चतुरधावनांका: और षडधावनांका (चौका और छक्का) से पूरा मैदान गूंज रहा था.
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