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बढ़ते तापमान से खराब हो रही अंगूर की फसल? किसान अपनाएं ये खास टिप्स, नहीं होगा कोई नुकसान - GRAPE CROPS DISEASES

बढ़ते तापमान में अंगूर के फसल को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों को फसल बचाव के लिए खास उपाय करने चाहिए.

grape crops
अंगूर का फसल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 27, 2025, 12:09 PM IST

हिसार:इन दिनों अंगूर की खेती का सीजन चल रहा है. हालांकि बदलते मौसम में इसके फसल को बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है. बढ़ते तापमान से अंगूर को सूंटी और लाल धब्बे वाली बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. इस बीमारी से बचने के लिए किसानों को खास उपाय करना चाहिए.

अंगूर की फसल को हो रहा नुकसान: हरियाणा में इन दिनों तेज हवा के कारण अंंगूर की फसलों को नुकसान हो रहा है. मार्च की शुरुआत से ही मौसम में काफी परिवर्तन होता है. तापमान बढ़ने और तेज हवा चलने से अंगूर के फल खराब हो जाते हैं. ऐसे में किसानों को समय पर सिंचाई करना चाहिए. छोटे-छोटे फलों को गिरने से रोकना और घने लगे हुए फलों को छिद्दा करने पर खास ध्यान देना चाहिए.

कृषि विशेषज्ञ के टिप्स:हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने अंगूर की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए कई टिप्स दिए. उन्होंने बताया, "भूरे रंग के कीड़ों से बचाव को बाविस्टिीन का छिड़काव करना चाहिए. अंगूर की नई कोपलों को भूरे रंग के कीड़े क्षति पहुंचाते हैं. ये कीड़े पत्तों की नसों के साथ-साथ चलते हैं. साथ ही पत्तों की निचली सतह को कुरेद कर रस चूसते हैं."

इन दवा का करें छिड़काव:बीआर काम्बोज ने आगे बताया, "अंगूर को इन बीमारियों से बचाने के लिए 150 मिली फेनवेलरेट, 20 ईसी या 500 मिली मैलाथियान, 50 ईसी को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बेलों पर छिड़काव करना चाहिए. कई बार बालों वाली सूंडियां अंगूर की बेलों, पत्तों और फलों पर भी आक्रमण करते हैं. लाल धब्बे वाली बीमारी के नियंत्रण के लिए बाविस्टिीन 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए. साथ ही 0.2 लीटर जीए और फल लगाते समय 40 पीपीएम 40 किलोग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए."

इन बातों का भी रखें ध्यान: कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा, "15 अप्रैल के बाद सिंचाई हर सप्ताह करनी चाहिए. बीज रहित अंगूर की किस्मों से अधिक उपज लेने के लिए पूरी तरह फूल आ जाने की हालत में 20. पीपीएम यानि 20 किलोग्राम प्रति भूरे रंग के कीड़ों से बचाव के लिए बाविस्टीन का छिड़काव करना चाहिए. 25-30 ग्राम यूरिया प्रति बेल दूसरे सप्ताह डालें और सिंचाई करें. मुख्य वाली टहनियों को तोड़ते रहें. बेलों के सीधा बढ़ने के लिए सीढ़ियों या बांस का सहारा दें. पांच साल से ऊपर के फल दे रहे पौधों में 340 ग्राम यूरिया और 500 ग्राम पोटाशियम सल्फेट डालें और गुड़ाई करके सिंचाई करें."

इन सभी उपायों और उपचार के जरिए किसान अंगूर की फसल को ठीक रख सकते हैं. इससे पैदावार भी सही रहेगी और अंगूर की फसल का बीमारियों से भी बचाव होगा.

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