सीपी जोशी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष (ETV Bharata Jaipur) जयपुर: लोकसभा चुनाव 2024 में मिली प्रदेश की 11 सीटों पर हार के बाद अब प्रदेश में बीजेपी उपचुनाव को लेकर कुछ ज्यादा ही अलर्ट है. यही वजह है कि इस बार चुनाव की कमान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने संभाल ली है. लोकसभा चुनाव में तो स्वयं सीपी जोशी चितोड़ से चुनाव लड़ रहे थे. ऐसे में खराब परफॉर्मेंस के बावजूद ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी से बच गए, लेकिन अब उपचुनाव पांच उन सीटों पर है, जहां पार्टी का आंकड़ा शून्य है. भले ही बीजेपी के पास इन सीटों पर खोने को कुछ नहीं हो, लेकिन सत्ता में होने के चलते हार-जीत का आंकड़ा कई सियासी समीकरण को बदलेगा. देखिए ये रिपोर्ट...
चुनाव का जिम्मा संगठन के जिम्मे : दरअसल, लोकसभा चुनाव में पांच सीटों से वो सांसद जीत कर आए हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक थे. नागौर, झुंझुनू, दौसा, देवली- उनियारा और चौरासी ये विधानसभा सीटें हैं जो लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई हैं और इन पर अगले 6 महीने में उपचुनाव होने हैं. इन पांचों सीटों के सियासी मिजाज को देखें तो इनमें से झुंझुनू, दौसा और देवली-उनियारा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, जबकि नागौर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और चौरासी पर भारतीय ट्राइबल पार्टी का कब्जा था. इन पांचों सीटों में से बीजेपी के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन पाने को बहुत कुछ है. अब इन पांच सीटों के उपचुनाव भाजपा के सियासी समीकरण को भी तय करेंगे. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तो ये एक और बड़ी अग्नि परीक्षा है ही. इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के लिए भी ये बड़ा टास्क है.
जोशी जुटे नब्ज टटोलने में जुटा : लोकसभा चुनाव में खराब परफॉर्मेंस से तो सीपी जोशी इस लिए बच निकले, क्योंकि वो स्वयं सांसद का चुनाव लड़ रहे थे. अपने कैम्पेन में व्यस्त रहे जोशी की जगह लोकसभा का जिम्मा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा संभल रहे थे, लेकिन अब उपचुनाव संगठन के जिम्मे है. यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी उपचुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले विधानसभा की नब्ज टटोलने में जुट गए हैं.
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15 जुलाई को सीपी जोशी नागौर पहुंचे. उसके बाद 16 जुलाई को झुंझुनू तो 17 जून यानी बुधवार को दौसा और टोंक के दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान जोशी पार्टी पदाधिकारियों से मिले. छोटे-बड़े नेताओं से फीडबैक लिया. क्षेत्र के चुनावी माहौल को जाना. इतना ही नहीं, 6 महीने की सरकार को लेकर क्षेत्र में क्या फीडबैक है, उसको लेकर भी बारीकी से चर्चा की. कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के प्रभाव वाली इन सीटों पर किस रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरा जाए, इसको लेकर चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि जोशी ने स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों से उम्मीदवारों को लेकर रायशुमारी की है. पैनल तैयार किया जा रहा है, ताकि उपचुनाव की घोषणा के साथ जब टिकट वितरण हो तो किसी तरह का अंतर्विरोध ना हो.
अच्छे परिणाम का दावा : उपचुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो देखे तो भाजपा के लिए कोई ज्यादा अच्छे परिणाम नहीं रहे. पिछले 10 वर्षों में करीब अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है. बीजेपी सत्ता में रही हो या फिर विपक्ष में, लेकिन उपचुनाव का परफॉर्मेंस डाउन ही रहा. शायद यही वजह है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पांचों सीटों पर जीत का दावा खुले रूप से नहीं कर रहे हैं.
जोशी के उपचुनाव को लेकर दिए बयानों को सुनें तो वे ये कहते हुए नजर आए कि उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आएंगे. जोशी ने कहा कि प्रदेश में पांच सीटों पर उपचुनाव हैं. इन सीटों पर कांग्रेस और उनके गठबंधन का प्रभाव ज्यादा रहा है, लेकिन इस बार दावा है कि लोकसभा चुनाव में तो जनता को भ्रमित करने में कामयाब हो गए, अब उपचुनाव में वो इस तरह से कामयाब नहीं होंगे. जनता इनका असली चेहरा जान चुकी है. उन्हें भी लग रहा है कि इनके क्षेत्र के विकास के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही काम कर रही है और आगे भी करेगी.