साहिबगंज: राजकीय माघी मेला की शुरुआत 24 फरवरी से होगी, जो सात दिनों तक चलेगी. यह माघी मेला राजमहल के उत्तर वाहिनी गंगा के किनारे लगता है. इस मेले में सफाहोड़ आदिवासी और अन्य समाज के लोग पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. इस मेला में झारखंड के अलावे बिहार, बंगाल, ओडिशा और यूपी के सफाहोड़ आदिवासी पहुंचते हैं. इन आदिवासियों का आना शुरू हो गया है. माघी मेला में आदिवासी समाज के लोग बिल्कुल सादगी से पूजा अर्चना करते हैं. गंगा नदी में खड़े होकर पूजा कर सूर्य भगवान को जल देते हैं. टेंट के अंदर खूब पूजा पाठ करते हैं, झूमते गाते हैं.
क्या है प्रशासन की तैयारी
जिला प्रशासन की तरफ से गंगा किनारे खाई है, इसको लेकर बैरिकेडिंग की गई है, ताकि भक्त सुरक्षित तरीके से पूजा कर सके. गंगा किनारे बालू को बोड़ा में भरकर रखा जा रहा है. लाइट की व्यवस्था की गई है. नगर परिषद की तरफ से शौचालय व पेयजल को लेकर व्यवस्था की गई है. मेले में पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा में 1000 हजार से अधिक सिपाही व पुलिस पदाधिकारी को लगाया गया है. क्योंकि लाखों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. इस मेला को मिनी कुंभ मेला भी कहा जा सकता है. आदिवासियों की भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे राजकीय माघी मेला का दर्जा दिया है. हर साल इस मेले में अतिरिक्त फंड जिला प्रशासन को मिलता है.
मेला की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे एसपी