पन्ना।मध्य प्रदेश कापन्ना जिला हीरों की खदानों के अलावा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. सबसे खास है यहां का बृहस्पति कुंड. जिसको देखकर ही पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. बृहस्पति कुंड जलप्रपात की गुफाओं और चट्टानों में अंकित है. आदिमानव काल द्वारा हजारों साल पहले बनाए गए शेल चित्र आज भी यहां मौजूद हैं. अधिकांशत शैल चित्रों में आदिमानव द्वारा वन्य जीव, आखेट, नृत्य आदि का चित्रण लाल रंगों से किया गया है. मध्य प्रदेश में यूनेस्को की विश्व धरोहर भीमबेटका शैल चित्रों के लिए विश्वविख्यात है, मगर दुर्भाग्य से वहां तक बृहस्पति कुंड के शैल चित्र नहीं पहुंच पाये हैं. लेकिन जल्द ही इन शैल चित्रों का सर्वेक्षण किया जाएगा.
आएगी राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण टीम
ग्राम रमखिरिया निवासी समाजसेवी सचिन मिश्रा ने बताया कि ''उन्होंने विगत दिनों बृहस्पति कुंड की गुफाओं एवं चट्टानों के शेल चित्र के फोटोग्राफ खींचकर जबलपुर पुरातत्व विभाग से इनका सर्वे करने का आग्रह किया था. जिस पर जबलपुर सर्वेक्षण विभाग द्वारा पत्र जारी कर कहा गया की सर्वेक्षण के लिए मध्य प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग भोपाल द्वारा किया जाएगा और जब सर्वेक्षण टीम आएगी तो आपके पास दूरभाष से संपर्क स्थापित करेगी.''
बृहस्पति कुंड प्राकृतिक जलप्रपात
बृहस्पति कुंड मध्य प्रदेश के पन्ना जिले बुंदेलखंड में स्थित एक प्राकृतिक कुंड है. यह स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. जो पौराणिक तथा भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थल है. मानसून के समय यहां पर लगभग 1000 फीट ऊंचाई से नीचे पानी गिरता है. जिसको देखकर लोग रोमांचित हो जाते हैं. पन्ना से दूरी लगभग 25 किलोमीटर और कालिंजर से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
संरक्षण के अभाव में धरोहर नष्ट होने की कगार में
मध्य प्रदेश में भीमबेटका के शैलचित्र को यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया. इसी तरह के शैलचित्र मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के बृजपुर ग्राम के पास बृहस्पति कुंड जलप्रपात के आसपास बहुतायत में हैं. इन शैल चित्रों में आदि मानव ने तत्कालीन परिस्थितियों और जीवों की चित्रित किया है. इन चित्रों में वन्य जीव, आखेट, नृत्य आदि का चित्रण लाल रंगों से किया गया है. बताया जाता है कि उच्च पुरापाषाण काल के शैल चित्र है जो बहुत ही दुर्लभ हैं. मगर आज भी प्रशासनिक अनदेखी के कारण उपेक्षित पड़े हैं और समय की मार से बचकर आज के मानव की मार से खराब हो रहे हैं. क्योंकि सरंक्षण के अभाव में नष्ट होने की कगार पर बहुत से शैल चित्र धुंधले पड़ गए हैं.