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ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी, जानें पूजन विधि और दान का महत्व - Holy Ganga Bath in Haridwar

Jyeshtha Purnima 2024 ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. वहीं दान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान के उपरांत पूजा और दान करने से उसका कई गुना फल मिलता है.

Jyeshtha Purnima Festival
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर्व (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 22, 2024, 10:54 AM IST

हरिद्वार/हल्द्वानी:ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालु हरिद्वार और तमाम नदियों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद पूजा व दान करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है और पूर्णिमा का व्रत 22 जून यानी आज ही रखा जा रहा है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा का व्रत माता लक्ष्‍मी को समर्पित होता है, इस दिन माता लक्ष्‍मी की पूजा करने से सारे मनोरथ पूरे होते हैं. साथ ही कुछ महत्‍वपूर्ण उपाय भी इस दिन के लिए खास मानें गए हैं. इन उपाय को करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर आपको करियर में उन्‍नति प्रदान करती हैं और साथ ही कारोबार में भी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है.

ज्योतिष आचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि, ज्येष्ठा नक्षत्र, शुभ योग, वणिज करण, पश्चिम का दिशाशूल और शुक्रवार दिन है. सुबह 07:31 के बाद से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो रही है. ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट पूर्णिमा का व्रत करने से सुख, समृद्धि बढ़ेगी, इसके साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय होगा. वट पूर्णिमा व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत सुहागन महिलाएं ही करती हैं. इस दिन वट वृक्ष, देवी सावित्री और उनके पति सत्यवान की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ अमावस्या को पड़ने वाली वट सावित्री व्रत के समान ही वट पूर्णिमा व्रत भी रखा जाता है.

इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा को सुनना चाहिए. प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद अंधेरा होने पर माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें. माता लक्ष्मी को खीर, बताशा या दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाएं. जिसके बाद माता लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगे, वहीं सायंकाल चंद्रोदय हो जाए तो चंद्रमा को जल अर्पित करें.

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