नागौर. जिले के जेएलएन अस्पताल में एक प्रसूता की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई. प्रसूता के साथ-साथ उसके पेट में पल रहे मासूम की भी मौत हो गई. वहीं, जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए धरने प्रदर्शन शुरू कर दिया. साथ ही शव लेने से इनकार कर दिया. इस मामले में चिकित्सा विभाग ने प्रारंभिक तौर पर एक्शन लेते हुए जेएलएन अस्पताल के डॉ. शैलेंद्र लोमरोड़ को सस्पेंड कर दिया है तो वहीं, डॉ. अंकित को एपीओ कर दिया गया. इधर, लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों को सस्पेंड और एपीओ करने के बाद परिजन शव के पोस्टमार्टम के लिए तैयार हुए. उसके पोस्टमार्टम कराके उन्हें शव सौंप दिया गया.
वहीं, मामले में सीएमएचओ राकेश कुमावत ने कहा कि ज्वाइंट डायरेक्टर और वो खुद इस मामले की जांच करेंगे. सोमवार को इस मामले की जांच की जाएगी. साथ ही पता लगाया जाएगा कि आखिर जच्चा-बच्चा की मौत कैसे हुई और इसमें किसने लापरवाही बरती है. उसके बाद आगे की कारवाई की जाएगी.
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दरअसल, नागौर शहर के बड़ली क्षेत्र निवासी सरिता रेगर को प्रसव पीड़ा होने पर परिवार के लोग उसे जेएलएन अस्पताल लेकर आए थे, जहां रात को उसे लेबर वार्ड में भर्ती किया गया. इस दौरान प्रसूता के साथ परिवार की एक महिला भी मौजूद थी. वहीं, रात को अस्पताल स्टाफ ने प्रसूता को इंजेक्शन दिया. उसके कुछ ही देर बाद प्रसूता की तबीयत अचानक बिगड़ गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई. प्रसूता की मौत के साथ ही मासूम की भी पेट में ही मौत हो गई. घटना के बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. इस पर चिकित्सा विभाग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की और एक डॉक्टर को निलंबित करने के साथ ही मामले में एक अन्य चिकित्सक को एपीओ किया है.
बेनीवाल से मिले परिजन :इस पूरे मामले को लेकर परिवार के लोग खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल से भी मिले और बेनीवाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई. ऐसे में हनुमान बेनीवाल ने इस पूरे मामले को लेकर नागौर जिला कलेक्टर से बातचीत की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही.