शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की मंडी सीट क्षेत्रफल के लिहाज से चारों सीटों से बड़ी है. इस सीट के साथ कई रोमांचकारी बातें जुड़ी हैं. बॉलीवुड 'क्वीन' कंगना रनौत और हिमाचल की राजनीति के राजा कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के चुनाव मैदान में होने के कारण मंडी सीट पर देश भर में चर्चित हो गई है. इसके अलावा मंडी से जुड़े और भी रोचक तथ्य हैं. ये तथ्य भी मंडी निर्वाचन क्षेत्र को चर्चा के केंद्र में लाते हैं. मसलन, इस सीट पर प्रचंड गर्मी वाले मैदानी इलाके हैं तो सर्दी का अहसास करवाने वाले पहाड़ भी.
इसी निर्वाचन क्षेत्र के एरिया में सतलुज नदी भी बहती है तो ब्यास नदी की कलकल भी सुनाई देती है. मंडी सीट के तहत ही हिमाचल का कोल्ड डेजर्ट यानी लाहौल स्पीति एरिया भी है. यहां किन्नौर की पहाडिय़ां हैं तो भरमौर की ऊंची चोटियां भी. इस सीट पर राजघरानों की भरमार है तो जनजातीय संस्कृति के भी दर्शन होते हैं. मंडी सीट की इन्हीं लीक से हटकर बातों की चर्चा यहां दर्ज की जाएगी.
क्षेत्रफल के लिहाज से देश की अव्वल सीटों में शुमार
मंडी का विस्तार किन्नौर से भरमौर और सुंदरनगर से रामपुर तक है. कुल 17 विधानसभा क्षेत्र इस सीट के तहत आते हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो ये देश की सबसे बड़ी चुनिंदा सीटों में एक है. क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो यह सीट 34 हजार वर्ग किलोमीटर का विस्तार लिए हुए है. यहां इस बार 13.59 लाख से अधिक मतदाता अपना सांसद चुनेंगे. वैसे क्षेत्रफल के लिहाज से लद्दाख सीट सबसे बड़ी है. लद्दाख लोकसभा सीट का एरिया पौने दो लाख वर्ग किलोमीटर से कुछ ही कम है. उसके बाद राजस्थान का बाड़मेर, फिर गुजरात का कच्छ, अरुणाचल दक्षिण और अरुणाचल पूर्व आता है. फिर 34 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक एरिया के साथ मंडी सीट का नंबर है.
राजघरानों की सीट है मंडी
मंडी लोकसभा सीट में कई राजघराने आते हैं. मंडी, सुकेत, बुशहर, कुल्लू रियासत के राजा इसी सीट से संबंध रखते हैं. सेन राजवंश से लेकर वीरभद्र सिंह और महेश्वर सिंह का परिवार इसी सीट का मतदाता है. इस सीट से राजपरिवार के सदस्यों के निर्वाचन पर नजर डाली जाए तो यहां सेन वंश के शासकों को प्रतिनिधित्व का आरंभ में मौका मिला. 1957 में राजा जोगेंद्र सेन, फिर ललित सेन ने दो बार चुनाव जीता. उसके बाद 1971 में बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह विजयी हुए. 1989 में कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह जीते. 2004 में प्रतिभा सिंह ने सीट जीती थी. इसके अलावा वे दो बार उपचुनाव में भी विजयी रहीं. वर्ष 2009 में वीरभद्र सिंह जीते थे. ऐसे में इस सीट पर राजघरानों का प्रभाव रहा है.
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गर्म और सर्द इलाकों में कठिन है चुनाव प्रचार
मंडी लोकसभा सीट पर कुछ क्षेत्र काफी गर्म हैं. मैदानी इलाकों में तापमान 38 से 42 डिग्री तक पहुंच जाता है. इन इलाकों में सुंदरनगर, नेरचौक, गोहर, रामपुर, करसोग, सरकाघाट, बल्ह, जोगेंद्र नगर, द्रंग आदि आते हैं. वहीं, पहाड़ी इलाकों में मंडी जिला में जंजैहली, शिकारी देवी, सराज, बालीचौकी आदि क्षेत्र हैं. ये अपेक्षाकृत सामान्य तापमान वाले इलाके हैं. फिर रामपुर गर्म इलाका है तो लाहौल स्पीति, किन्नौर व भरमौर वाला एरिया सर्दी वाला है. यहां कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों के गांव-गांव में प्रचार करना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि अब हैलीकॉप्टर के जरिए प्रत्याशी व बड़े नेता आसानी से सफर कर लेते हैं, लेकिन चंद दिनों में पूरे मंडी लोकसभा का दौरा करना कठिन है। एक तरफ मंडी सदर सीट है तो दूसरी तरफ मनाली। कहीं किन्नौर है तो कहीं भरमौर के गांव। एक तरफ बंजार का इलाका तो दूसरी तरफ करसोग, रामपुर। यानी एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में प्रत्याशी थक कर चूर हो जाते हैं.