उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण (ETV Bharat Jaipur) जयपुर.भारतीय रेलवे में प्रतिदिन संचालित होने वाली हजारों सवारी और मालगाड़ियों के संचालन का पूरा जिम्मा लोको पायलट के कंधों पर होता है. हर मौसम में 24X7 लोको पायलट निरंतर अपनी जिम्मेदारी को वहन करते हुए पूर्ण सतर्कता के साथ रेल संचालन में अपना योगदान देते हैं. रेलवे प्रशासन की ओर से लोको पायलट की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में उत्तर पश्चिम रेलवे जोन पर 23 लोको लॉबी और 20 रनिंग रूम बनाए गए हैं.
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि रेलवे भारत की जीवन रेखा है और लोको पायलट भारतीय रेलवे की धुरी हैं. रेलवे प्रशासन भी लोको पायलेट के महत्व को समझते हुए उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्पित हैं. उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल सेवाओं के संरक्षित संचालन के लिए लोको पायलेट, सहायक लोको पायलेट और रनिंग स्टाफ के 4985 पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में 3827 कार्मिक कार्यरत हैं. शेष 1158 पदों पर भर्ती प्रक्रिया विभिन्न चरणों (रेलवे भर्ती बोर्ड और विभागीय परीक्षाओं के माध्यम से) में चल रही है.
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उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक अमिताभ के निर्देशन में रनिंग स्टाफ के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे पर कुल 23 लोको लॉबी और 20 रनिंग रूम बनाए गए हैं. जयपुर मण्डल पर जयपुर, बांदीकुई, फुलेरा और रेवाड़ी में लोको लॉबी और रनिंग रूम दोनों ही बनाए गए हैं, जहां स्थानीय मुख्यालय के अलावा दूसरे मुख्यालय से आने वाले रनिंग स्टाफ को आराम के लिए रनिंग रूम की सुविधा मिलती है.
निश्चित समय की ड्यूटी के बाद मिलता है आराम :भारतीय रेलवे पर लोको पायलट की ड्यूटी का समय सवारी गाड़ी में अधिकतम 8 घंटे और मालगाड़ियों में अधिकतम 10 घंटे निश्चित किया गया है. इसके बाद उन्हें विभिन्न नामित स्थानों पर स्थित रनिंग रूम (विश्राम गृह) में आराम दिया जाता है. रनिंग स्टाफ को अपने मुख्यालय पर 16 घंटे और रनिंग रूम में 8 घंटे विश्राम के बाद अगली गाड़ी में बुकिंग की जाती है.
लोको पायलट नियमानुसार आराम के घंटे पूर्ण करने के बाद ही ड्यूटी पर बुलाए जाते हैं. रनिंग स्टाफ को ड्यूटी पर बुलाने के लिए निश्चित समयपूर्व कर्मचारी को रेलवे की ओर से दिए गए सीयूजी फोन पर मैसेज और कॉल कर सूचना दी जाती है. ड्यूटी ऑन होने से पूर्व सभी रनिंग स्टाफ को कम्प्यूटरीकृत लॉबी में साइन ऑन करना होता है, जहां उन्हें ड्यूटी पर जाने वाली गाड़ी संबंधी सभी सूचनाएं और रेलखंड के गति प्रतिबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है.
पूरी जांच के बाद करते हैं रेल संचालन :साइन ऑन से पूर्व सभी रनिंग स्टाफ का अल्कोहल और अन्य नशे की जांच के लिए ब्रीथेलाइजर टेस्ट भी किया जाता है. पूर्ण स्वस्थ और सभी कार्रवाई पूरी करने के बाद लोको पायलट,सहायक लोको पायलट साइन ऑन कर गाड़ी के लोकोमोटिव पर पहुंचते हैं. लोकोमोटिव की आवश्यक जांच करने के बाद नियमानुसार रेल संचालन का कार्य करते हैं.
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रनिंग स्टाफ को दी जाने वाली सुविधाएं (लॉबी) :
- रनिंग स्टाफ को लॉबी से जुड़े हुए एक वातानुकूलित रेस्ट रूम की व्यवस्था (जहां आराम चेयर और सोफे की व्यवस्था होती है) की जाती है, जहां गाड़ी के विलम्ब के समय रेस्ट किया जा सके.
- लॉबी एवं रेस्ट रूम वातानुकूलित
- आरओ एवं वाटरकूलर युक्त पेयजल की सुविधा
- लॉबी में सीयूजी फोन की सुविधा
रनिंग रूम में उपलब्ध सुविधाएं
- घर से दूर घर जैसी सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए उच्च मापदंडों की साफ-सफाई और कीटाणु रहित वातानुकूलित शयनकक्ष.
- आरओ और वाटरकूलर युक्त पेयजल की सुविधा.
- प्रत्येक स्टाफ के बदलते ही लिनन बदलना.
- मेडिटेशन रूम.
- पत्र-पत्रिकाओं की सुविधा.
- खाना पकाने के लिए साफ-सुथरी रसोई की व्यवस्था.
- सबसिडाइज भोजन की उपलब्धता.
- डाइनिंग हॉल,चेयर, टेबल की व्यवस्था.
- रेफ्रिजरेटर,आयरन,वाशिंग मशीन की व्यवस्था.
- महिला रनिंग स्टाफ के लिए अलग कमरों एवं टॉयलेट की व्यवस्था.
- सभी रनिंग रूम में क्रू मैनेजमेंट प्रणाली की व्यवस्था.
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि भारतीय रेलवे सुरक्षित और संरक्षित रेल संचालन के लिए लोको पायलट के महत्वपूर्ण पद की भूमिका के महत्व को ध्यान में रखते हुए उनके कल्याण के लिए विभिन्न कार्य कर रही है. इसमें रनिंग स्टाफ को आउट ऑफ टर्न आवास और अन्य सुविधा दी जाती है. तनावमुक्त रहकर कार्य करने के लिए उनके परिवार की भी समय-समय पर काउसलिंग की जाती है. बदलती तकनीक और नए आधुनिक कार्य प्रणाली से अवगत कराने और अपडेट होने के लिए रनिंग स्टाफ को रिफ्रेशर कोर्स भी करवाए जाते हैं. भारतीय रेल रनिंग स्टाफ के कल्याण और सुख सुविधाओं के लिए कृतसंकल्पित हैं.