प्रयागराज :मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले में पहले की दलीलों को जारी रखते हुए गुरुवार को हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि विवादित संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में प्रतिवादी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड या ईदगाह की इंतजामिया कमेटी की ओर से अब तक कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है. न ही पेश किया गया है. यह भी कहा गया कि विवादित संपत्ति में प्रतिवादी के नाम पर कोई बिजली कनेक्शन भी नहीं है. वे अवैध रूप से बिजली का उपयोग कर रहे हैं इसलिए बिजली विभाग ने बिजली के अवैध उपयोग के लिए उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है. समयाभाव के कारण कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख लगा दी. यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया है.
हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि समझौते में देवता पक्षकार नहीं हैं. समझौता पूजा समिति ने किया था. आगे कहा कि शाही ईदगाह की संरचना को हटाने के बाद कब्जे के साथ मंदिर की बहाली और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा दायर किया गया है. मुकदमे में प्रार्थना से पता चलता है कि ईदगाह की संरचना वहां मौजूद है और प्रबंधन समिति का उस पर कब्जा है.
सहायक अध्यापकों का बकाया वेतन देने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हरिजन प्राइमरी पाठशाला नेवादा प्रयागराज में कार्यरत चार सहायक अध्यापकों को दिसंबर 2023 से अब तक का वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने धनराज सिंह व तीन अन्य की याचिका पर उनके अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी को सुनकर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मैनेजर 24 घंटे में याची अध्यापकों का वेतन बिल जिला समाज कल्याण अधिकारी को भेजें.
याचियों ने याचिका में दिसंबर 2023 से रुके वेतन का भुगतान करने की मांग की थी. एडवोकेट अनुराग त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि हेमवती नन्दन बहुगुणा समिति द्वारा संचालित पाठशाला की प्रबंध समिति के मैनेजर राजेश कुमार सोनकर याचियों से सैलरी बिल पर हस्ताक्षर करने के बदले दो महीने के वेतन की मांग कर रहे थे. मना करने पर वेतन बिल भेजने से इनकार कर दिया. जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रज्ञा पांडेय इस मामले को गम्भीरता से नहीं ले रही थीं. वह मैनेजर को केवल पत्र भेज रही थीं. याचियों ने जिला मजिस्ट्रेट और जिला समाज कल्याण अधिकारी से शिकायत की, जिस पर तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट विश्व भूषण मिश्र ने जांच की. जांच रिपोर्ट में शिक्षकों का आरोप सही पाया गया. कहा गया कि मैनेजर द्वारा गलत तरीके से याचियों से दो माह के वेतन की मांग की जा रही थी. इसे ध्यान में रखते हुए डीएम ने जिला समाज कल्याण अधिकारी को स्कूल का ऑथराइज्ड कंट्रोलर नियुक्त करने का आदेश दिया था. लेकिन डीएम के आदेश को कमेटी आफ मैनेजमेंट ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर चुनौती दी. जिस पर कोर्ट ने स्थगनादेश दिया था.
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