पटना: हिंदू धर्म में शादी का बड़ा ही महत्व है. शादी के समय सात फेरे लेकर पति-पत्नी एक दूसरे का जीवन भर साथ देने की वचन लेते हैं. शादी के समय में पंडित के द्वारा मंत्रो के साथ लड़की की मांग लड़के द्वारा भराई जाती है. इसके बाद वह महिला हमेशा अपने मांग में सिंदूर लगाए रखती है. सिंदूर सुहाग की निशानी है. सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले सिंदूर से अपनी मांग भरती है. आखिर इस सिंदूर का इतना महत्व क्यों है, हम आपको बताएंगे.
सिंदूर से मांग भरने का महत्व: सुहागिन महिलाओं के सिंदूर से मांग भरने को लेकर आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर सुहाग और सुहागिन होने का प्रतीक माना गया है. विवाह के समय में दूल्हा-दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, तब विवाह पूर्ण माना जाता है. इसके बाद से सुहागिन स्त्री अपनी मांग को हमेशा सिंदूर सजाए रखती है. हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं 16 सिंगार करती है, जिसमें सिंदूर का अहम महत्व है.
सिंदूर से जुड़ीमानयता: रामशंकर दूबे ने बताया कि सिंदूर के महत्व का जिक्र रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक मिलता है. सुहागिन महिलाएं जब अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं तो पति की उम्र लंबी होती है, अकाल मृत्यु से रक्षा होती है, पति के ऊपर कोई भी संकट नहीं आता है और पति-पत्नी के रिश्ते मधुर और मजबूत बने रहते हैं. सुहागिन महिलाओं की पहचान के रूप में सिंदूर को माना जाता है.
मिलता है मां पार्वती का आशीर्वाद: रामशंकर कहते हैं कि सिंदूर का रंग लाल होता है, जो माता पार्वती की ऊर्जा को दर्शाता है. यही कारण है कि सिंदूर लगाने से मां पार्वती से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है. सिंदूर माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक है. सुहागिन महिलाओं को धर्मशास्त्र के मुताबिक शादी के समय में 7 बार सिंदूर लगाया जाता है लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं होता है.