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शत्रु संपत्ति मामले में शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान को हाई कोर्ट का आदेश - MP HIGH COURT

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने शत्रु संपत्ति के बारे में फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान को अपीलीय प्राधिकरण में जाने की सलाह दी.

MP High Court
शत्रु संपत्ति मामले में शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान को आदेश (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

जबलपुर :मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने शत्रु संपत्ति के मामले में अभिनेत्री अभिनेत्री शर्मिला टैगोर उनके बेटे सैफ अली खान, सबीहा सुल्तान को अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष आभ्यावेदन (किसी संगठन के समक्ष किसी बात के बारे में आधिकारिक बयान देना) पेश करने के आदेश जारी किये हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में अपीलीय प्राधिकरण को गुण-दोषों के आधार पर निर्णय लेने के लिए कहा है.

भोपाल के अंतिम नवाब की संपत्ति का मामला

गौरतलब है भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान बहादुर की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत पर नियंत्रण करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका साल 2015 में दायर की गयी थी. नवाब की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति इसलिए घोषित किया था, क्योंकि उनकी बड़ी बेटी राजकुमारी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं. वह नवाब के जीवित रहते पाकिस्तान चली गई थीं. नवाब की मृत्यु के बाद उनकी दूसरी बेटी मेहर ताज साजिदा सुल्तान बेगम को भोपाल के सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम, 1947 के अनुसार संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. याचिकाकर्ता उनके वारिस हैं.

शत्रु संपत्ति के मामले में ये है अपडेट

याचिका की सुनवाई करते हुए फरवरी 2015 में आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने एकलपीठ को बताया कि 2017 में एनिमी प्रापर्टी एक्ट-1968 में कुछ संशोधन किया गया है. इसके तहत एनिमी प्रापर्टी से जुड़े मामलों में प्रभावित पक्ष अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अभ्यावेदन दे सकता है. याचिकाकर्ताओं के पास उचित फोरम में जाने का विकल्प मौजूद है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए ये आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश पंचौली ने पैरवी की.

किसे कहते हैं शत्रु संपत्ति

बता दें कि आजादी के बाद जो लोग भारत से पाक जाकर बस गए, उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया. भारत सरकार द्वारा इस संबंध में आदेश 10 सितंबर 1959 में जारी किया गया था. वहीं शत्रु संपत्ति के संबंध में दूसरा आदेश 18 दिसंबर 1971 को जारी किया गया था. देशभर में ऐसी सभी संपत्तियां शत्रु संपत्ति स्वत: घोषित हो गईं.

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