रामपुर: हिमाचल प्रदेश में बहुत से जानवर संरक्षित श्रेणी के तहत आते हैं. जिनका शिकार करना कानूनन अपराध है. मगर बावजूद इसके कुछ लोगों द्वारा इन संरक्षित जानवरों का शिकार किया जाता है. ताजा मामला शिमला जिले के उपमंडल रामपुर का है. रामपुर उपमंडल के तहत पुलिस चौकी तकलेच क्षेत्र में संरक्षित जानवर के अवैध शिकार का मामला सामने आया है. मंगलवार रात को तीन युवकों ने एक दुर्लभ जंगली जानवर घोरल का शिकार कर लिया. वन विभाग के मुस्तैदी से मामला का खुलासा हुआ और तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया गया है.
शक के आधार पर वन रक्षकों ने किया पीछा
डीएसपी रामपुर नरेश शर्मा ने बताया कि घटना मुनीश वन बीट क्षेत्र की है. वन विभाग के गुप्तचरों ने वन रक्षकों को सूचना दी कि जंगल में दो गोलियां चलने की आवाजें सुनाई दी हैं. जिसके बाद वन रक्षक फौरन एक्शन मोड में आ गए और अपने सहयोगियों के साथ जंगल की ओर निकले. इस दौरान वन रक्षक ने गाड़ी का पीछा किया और पुलिस को मामले की जानकारी दी कि उन्हें शक है कि एक गाड़ी जो मुनीश से तकलेच की ओर जा रही है, उसमें शिकारी हैं. वन रक्षकों ने उन लोगों के पास हथियार होने की भी आशंका जाहिर की.
गाड़ी से मिला मृत घोरल
वहीं, वन रक्षकों के सूचना देने पर पुलिस प्रशासन भी फौरन हरकत में आया और कार्रवाई करते हुए पुलिस ने तकलेच चौकी के पास गाड़ी को रोका. इस गाड़ी में तीन युवक सवार थे. पुलिस ने शक के आधार पर गाड़ी की तलाशी ली तो गाड़ी के पिछले हिस्से में एक मृत घोरल पाया गया. इसके अलावा आरोपियों के पास से दो बंदूकें भी बरामद हुई हैं. पुलिस ने तीनों युवकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. वन विभाग का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के जंगलों में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए गश्त बढ़ाई जाएगी और अवैध शिकार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
डीएसपी रामपुर नरेश शर्मा ने बताया कि "मुनीश वन बीट क्षेत्र में दुर्लभ जंगली जानवर घोरल का शिकार करने पर तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज कर लिया है. मामले में आगामी कार्रवाई जारी है."
घोरल एक संरक्षित वन्य जीव
घोरल हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति का वन्य जीव है. भारत में इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची- I के तहत विशेष संरक्षण प्राप्त है. इस अधिनियम के अनुसार, घोरल के शिकार पर कठोर सजा का प्रावधान है. जिसमें 7 साल तक की कैद और भारी जुर्माने की सजा हो सकती है.