जयपुर: राज्य सरकार ने हेरिटेज नगर निगम की कार्यवाहक महापौर कुसुम यादव का कार्यभार 60 दिन और बढ़ा दिया गया है. इस संबंध में डीएलबी डायरेक्टर कुमार पाल गौतम ने सोमवार को आदेश जारी किए. हालांकि, इन 60 दिन में निर्वाचन आयोग की ओर से हेरिटेज निगम मेयर पद पर इलेक्शन अनाउंस होते हैं तो महापौर का पद खुद-ब-खुद रिक्त माना जाएगा.
इस बीच कार्यकाल बढ़ने पर महापौर कुसुम यादव ने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए 27 नवंबर को एक बार फिर पट्टा वितरण शुरू करने की बात कही. साथ ही जल्द समितियां बनने की ओर भी इशारा किया. मुनेश गुर्जर को महापौर पास से निलंबित करने के बाद बीते 60 दिन से कार्यवाहक महापौर पद पर काम संभाल रही कुसुम यादव को 60 दिन का कार्यभार और सौंपा गया है. इस पर शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए महापौर कुसुम यादव ने कहा कि उनकी प्राथमिकता हमेशा से जयपुर की स्वच्छता और विकास रही है.
कुसुम यादव ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur) बीते 2 महीने में शहर को साफ रखने में गति पकड़ी है. स्वच्छ सर्वेक्षण और राइजिंग राजस्थान सामने है. इसको देखते हुए सभी मुख्य बाजारों में पेच वर्क कराया जा रहा है. मार्किंग और रंग रोगन का काम भी जारी है. पावणों के स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी है. आने वाले समय में जो सुंदर जयपुर विरासत में मिला है उसे और निखारने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 4 साल की विडंबना रही कि कांग्रेस की सरकार ने समितियां का गठन नहीं किया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी हर एक व्यक्ति को उसका अधिकार देने में विश्वास रखती है. जल्द ही समितियों का गठन होगा और साथी पार्षदों को समितियों में अध्यक्ष और समितियों में सदस्य बनाया जाएगा. इसके लिए तैयारी पूरी हो चुकी है जल्द ही समितियों की भी घोषणा होगी.
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वहीं, आगामी दिनों में यदि अधिकारियों के प्रस्ताव और पार्षदों के सुझाव आएंगे तो अगली बोर्ड मीटिंग भी की जाएगी, क्योंकि बोर्ड मीटिंग हर पार्षद का अधिकार है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी जमीन का पट्टा मिलना चाहिए और नगर निगम ने डीएलबी के आदेश अनुसार अपनी पूरी तैयारी कर ली है. कुछ प्रकरणों में निर्देश मिल चुके हैं, कुछ प्रकरणों में दिशा निर्देश मिलना बाकी है. जो पट्टे तैयार हैं, उनका वितरण 27 नवंबर को यूडीएच मंत्री की ओर से किया जाएगा. जहां तक इको सेंसेटिव एरिया के पट्टों का सवाल है, तो इस संबंध में अब तक कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं. तब तक इको सेंसेटिव एरिया में पट्टा देना निगम के लिए संभव नहीं होगा.