ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव):कहावत है कि, मेहनत करने वालों की हार नहीं होती और इस कहावत को चरितार्थ किया है ग्वालियर के 5 दोस्तों ने. जो बचपन से ही सुन या बोल नहीं सकते. जहां आज का युवा पढ़ाई लिखाई के बाद भी रोजगार की तलाश में भटक रहा है, वहीं ग्वालियर के पांच मूकबधिर दोस्तों ने मिलकर ना सिर्फ मेहनत के दम पर खुद का रोजगार खड़ा किया. बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. क्योंकि अक्सर दिव्यांगता को लोग मजबूरी मान लेते हैं लेकिन इन 5 युवाओं ने दिव्यांगता के मायने बदल दिए हैं.
यहां इशारों में होता है काम
वैसे तो ग्वालियर संगीत नगरी है लेकिन यहां जायकों के दीवाने भी कम नहीं है. सुबह से ही नाश्तों की दुकानों पर भीड़ टूटने लगती है. ग्वालियर के जनकगंज में भी नाश्ते की एक रेहड़ी बड़ी मशहूर है, नाम है 'गूंगा बहरा नाश्ता भंडार'. आपने नाम की तरह अनोखी रेहड़ी का संचालन भी कुछ खास युवा करते हैं. जिन्होंने अपने हाथों से अपनी कमियों को खूबियों में बदल दिया. रेहड़ी का संचालन कारने वाले ना तो बात करते हैं ना सुनते हैं, यहां काम इशारों इशारों में होता है. क्योंकि इस दुकान का संचालन करने वाले पांचों दोस्त मूक बधिर हैं.
अनोखा 'गूंगा बहरा नाश्ता भंडार (ETV Bharat) रोजगार नहीं था तो दोस्तों के साथ शुरू किया स्टार्टअप
'गूंगा बहरा नाश्ता भंडार' के संचालन में सहयोग कर रहे सोनू वर्मा कहते हैं कि, ''इस दुकान का नाम इसीलिए ऐसा रखा क्योंकि यहां काम करने वाले लोग बोल या सुन नहीं पाते. वे आपस में साइन लैंग्वेज में बात करते हैं. लेकिन मेहनत में किसी से पीछे नहीं हैं.'' उन्होंने बताया कि, ''उनका भाई नवीन वर्मा बचपन से बोल-सुन नहीं सकता था. स्कूल खत्म हुआ तो कोई रोजगार नहीं था. ऐसे में 15 साल पहले उसने अपने दोस्तों मनीष, अरुण, महेंद्र, धर्मेंद्र के साथ नाश्ते का स्टार्टअप शुरू किया था.''
स्वाद के दीवाने हैं लोग (ETV Bharat) लिप्सिंग से समझते हैं ग्राहकों की बात
सोनू बताते हैं कि, नवीन और उसके दोस्तों ने सोनू को भी अपने साथ जोड़ा और अब वह साथ में रेहड़ी संभालता है. ग्राहक भी ऐसा हुजूम लगाते हैं कि संभाले नहीं संभालते. पांचों दोस्त अपने काम बांट कर करते हैं. कोई समोसे तैयार करता है तो कोई उन्हें तलता है. दुकान पूरा दिन चलती रहती है. जब सोनू दुकान पर नहीं होते तो पांचों दोस्त इसे संभालते हैं. ग्राहकों की बात लिप्सिंग यानि लोगों के होंठ पढ़कर समझ लेते हैं.''
5 दिव्यांग दोस्त चला रहे अनोखी रेहड़ी (ETV Bharat) मेहनत से मिली बरक्कत, किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते
स्कूल से निकलकर समोसा, कचौरी, बेड़ई जैसी चीज सीखना इन मूक बधिर दोस्तों के लिए फायदेमंद रहा. क्योंकि अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने अपने व्यापार को सफल बनाया. आज पांचों दोस्तों की शादी हो चुकी, बच्चे भी हैं और इसी गूंगा बेहरा नाश्ता भंडार की बदौलत वे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. ना किसी के आगे हाथ फैलाना है ना खर्च करने से पहले सोचना है. खुद की कमाई है जो महनत से कमाई है. नवीन और उसके दोस्तों ने ये बात साबित कर दी है कि, मेहनत करना जानते हो तो कमाने के लिए शब्दों का होना जरूरी नहीं है.