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farmer movement side effects: चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के किराये में वृद्धि, लोग हो रहे परेशान

farmer movement side effects: किसान आंदोलन के कारण चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का किराया बहुत बढ़ गया है. वहीं ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है.

farmer movement side effects
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 23, 2024, 4:59 PM IST

चंडीगढ़: किसान आंदोलन के चलते लोगों को शहर से बाहर जाने के लिए दुगुनी कीमत चुकानी पड़ रही है. जहां फ्लाइट की प्राइस डबल हुए हैं वहीं ट्रेन में कन्फर्म बर्थ नहीं मिल पा रहा है. चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए इस समय तीन एयरलाइंस अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिसमें विस्तारा, इंडिगो और अलायंस एयर है. समान्य दिनों की तुलना में अभी फ्लाइट से दिल्ली जाने के लिए चंडीगढ़वासियों को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है.

सड़क मार्ग से दिल्ली जाना मुश्किल: पिछले एक हफ्ते से किसानों द्वारा हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर प्रोटेस्ट किया जा रहा है. किसानों के दिल्ली कूच के एलान के कारण हरियाणा सरकार द्वारा सड़कों पर बैरिकेडिंग की गई है. लोगों को दूसरे रूट से जाने के लिए बोला जा रहा है. इन रूटों से जाने पर चंडीगढ़ से दिल्ली की दूरी बहुत बढ़ जाती है. इससे समय की भी बर्बादी होती है. जिन लोगों का रोजाना चंडीगढ़ से दिल्ली जाना होता है उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जिन्होंने ट्रेवल एजेंसियों के जरिए अपनी छुट्टियां प्लान कर रखी थी. उन्हें अब फ्लाइट में बढ़े रेट पर दिल्ली जाना पड़ रहा है.

फ्लाइट के किराये में वृद्धि:चंडीगढ़ की ट्रेवल एजेंसी के मालिक अजीत बैठीजा ने कहा कि "मैं पिछले 8 सालों से ट्रैवल एजेंसी चला रहा हूं. रेलवे और फ्लाइट्स की टिकट की बुकिंग करता हूं. लेकिन पिछले चार दिनों से हवाई जहाज की टिकट की कीमत दोगुनी से तिगुनी हो गयी है. जहां आम दिनों में चंडीगढ़ से दिल्ली जाने के लिए फ्लाइट में 2000 से 3000 का खर्च आता था अब वही टिकट 7000 से लेकर 9000 के बीच में खरीदनी पड़ रही है. वहीं दूसरी ओर रेलवे के लिए भी बुकिंग होनी बंद हो रही है. आने वाले 2 से 3 दिनों में रेलवे और फ्लाइट के रेट एक बार फिर बढ़ेंगे". वहीं चंडीगढ़ एयरपोर्ट के सीईओ राकेश राजन ने बताया कि "चंडीगढ़ एयरपोर्ट में भीड़ सामान्य है. एक हफ्ते पहले भी रोजाना 10000 लोगों का आना और जाना होता था. वहीं अभी भी 10000 के करीब ही लोग रोजाना आ और जा रहे हैं. ऐसे में फ्लाइट कंपनी अपनी सहुलियत के हिसाब से टिकट का रेट निर्धारित करते हैं. एयरपोर्ट प्रशासन का कुछ लेना देना नहीं होता".

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