उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

UP रोडवेज डिपो का निजीकरण; नए साल पर बसों का संचालन ठप करने की तैयारी, यूनियन ने दी चेतावनी - UP ROADWAYS PRIVATIZATION

नए साल के पहले ही दिन लग सकता है यात्रियों को झटका, रोडवेज की यूनियनों ने कहा-आउटसोर्स कर्मियों को डिपो में नहीं घुसने देंगे

Etv Bharat
रोडवेज डिपो के निजीकरण का विरोध जारी. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 7 hours ago

लखनऊ: नए साल के पहले ही दिन रोडवेज बसों से सफर करने वाले यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. 19 डिपो से बसों का संचालन ठप करने की तैयारी है. वजह है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने 19 डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंपा है. यह कंपनियां एक जनवरी से डिपो में काम करना शुरू करेंगी. इससे पहले रोडवेज की यूनियनों ने योजना बनाई है कि प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को डिपो के अंदर प्रवेश ही नहीं करने दिया जाएगा और बसों की हड़ताल की जाएगी.

एक जनवरी से प्राइवेट कंपनियां करेंगी बसें मेंटेनः गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम निजीकरण के रास्ते पर चल पड़ा है. पहले बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने की शुरुआत हुई. आलमबाग बस स्टेशन से निजीकरण की नींव पड़ गई. अब प्रदेश में 23 बस अड्डे प्राइवेट हाथों को सौंपे गए हैं. वहीं, 119 डिपो में से 19 डिपो को प्राइवेट फर्म को दे दिया गया है. यह कंपनियां नए साल के पहले दिन से काम करना शुरू करेंगी.

निजीकरण बिल्कुल भी मंजूर नहींः सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह का कहना है कि एक जनवरी से प्रदेश के अलग-अलग 19 डिपो की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म के हाथ में सौंपने की तैयारी है. हमें यह बिल्कुल स्वीकार नहीं होगा. प्राइवेट फर्म के कर्मचारी डिपो में प्रवेश भी नहीं कर पाएंगे. उन्हें घुसने भी नहीं दिया जाएगा. अगर जबरदस्ती की तो हड़ताल कर दी जाएगी. जरूरत पड़ने पर बसों का चक्का जाम भी किया जाएगा. पूरे प्रदेश में बसों का संचालन ठप कर दिया जाएगा. निजीकरण हमें बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. जब तीन रुपये और कुछ पैसे में ही हमारी वर्कशॉप में बसों का मेंटेनेंस होता था तो दोगुने रेट पर प्राइवेट फर्म को देने की क्या जरूरत थी?

सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के पदाधिकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

सालाना 200 करोड़ का अतिरिक्त भारःजसवंत सिंह का कहना है परिवहन निगम के इस कदम से सालाना 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा. यह कदम बिल्कुल भी सही नहीं है. हमारे कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं होते हैं. उन्हें नियमित करने के बारे में परिवहन निगम सोचता नहीं है, लेकिन ज्यादा पैसे खर्च कर प्राइवेट फर्म को मौका दे रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अब तक दो बार अपने संविदा कर्मियों को नियमित कर चुका है. जबकि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने इस बारे में सोचा भी नहीं है. प्रति किलोमीटर भुगतान को लेकर जो वार्ता में सहमति बनी थी, उस पर भी अभी तक परिवहन निगम ने फैसला नहीं लिया है. निजीकरण का खुलकर विरोध करेंगे.

अपनी कार्यशालाओं की हालत खस्ताःसेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास का कहना है कि रोडवेज की अपनी राम मनोहर लोहिया कार्यशाला और केंद्रीय कार्यशाला की हालत ही बिल्कुल खस्ता है. 1989 से इन दोनों कार्यशालाओं में भर्ती तक नहीं की गई है. एक कार्यशाला में कुल 41 कर्मचारी बचे हैं तो दूसरी में 19. यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यहां पर बसें सस्ते रेट पर बनकर तैयार हो जाती थीं. जबकि अब बसों को बनाने का काम प्राइवेट लोगों से कराया जा रहा है, जिसमें कमीशन बाजी चल रही है. इसलिए अपनी ही कार्यशालाओं को खत्म किया जा रहा है. सभी कार्यशालाएं प्राइवेट फर्म को दिए जाने की तैयारी हो रही है. यह परिवहन निगम को खत्म करने का प्लान है, जो हमें मंजूर नहीं है.

दक्ष कर्मचारियों की कमीःउत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि हमारे पास दक्ष कर्मचारियों की कमी हैं और अब जो बसें आ रही हैं वह काफी सेंसिटिव हैं. टेक्नोलॉजी के साथ ही हम कुशल कर्मचारियों से बसों को मेंटेन करेंगे, इसीलिए प्राइवेट फर्म को टेंडर दिया गया है. अगर कर्मचारी विरोध करते हैं तो उस ममाले पर अभी फिलहाल मेरी तरफ से कुछ भी कहना उचित नहीं है.


ये डिपो गए प्राइवेट हाथों मेंःपरिवहन निगम की तरफ से 19 डिपो प्राइवेट हाथों में सौंपे गए हैं. इनमें नजीराबाद डिपो, हरदोई डिपो, अवध डिपो, जीरो रोड डिपो, ताज डिपो, साहिबाबाद डिपो, बदायूं डिपो, इटावा डिपो, झांसी डिपो, कैंट डिपो, बांदा डिपो, बलरामपुर, विकासनगर डिपो, साहिबाबाद डिपो, छुटमुलपुर डिपो और सोहराब गेट डिपो शामिल हैं. कैसरबाग स्थित परिवहन निगम मुख्यालय के ठीक पीछे का अवध डिपो को भी निजी हाथों में सौंप दिया गया है.

प्रदेश में कुल 119 कार्यशालाएंःउत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रदेश भर में कल 119 बस डिपो हैं. इन सभी डिपो में हजारों कर्मचारी काम करते हैं. इनमें से 19 डिपो को परिवहन निगम प्रशासन ने प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला लिया है. यानी अब आने वाले दिनों में सिर्फ 100 कार्यशालाएं ही रोडवेज की अपनी कार्यशालाएं होंगी. सूत्र बताते हैं कि 19 डिपो को प्राइवेट हाथों में सौंपने का अगर प्रयोग सफल रहा तो कई और भी कार्यशालाएं निजी फर्मों को दे दी जाएंगी.

साढ़े आठ हजार से ज्यादा रोडवेज की अपनी बसेंः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की अपनी साढ़े आठ हजार से ज्यादा बसे हैं. वहीं, 3000 से ज्यादा प्राइवेट बसें हैं. रोडवेज बसों का मेंटेनेंस अपनी कार्यशालाओं में होता है. अब 19 डिपो जो प्राइवेट हाथों में सौंपे गए हैं, उनमें बसें मेंटेन की जाएंगी. जो भी आउटसोर्स कर्मचारी यहां पर ड्यूटी करते हैं, उन्हें भी प्राइवेट फर्म में समायोजित किया जाएगा. रोडवेज में जिन बसों का अनुबंध है, वह अपनी बसें खुद ही मेंटेन करते हैं.

इसे भी पढ़ें-यूपी रोडवेज का भी होगा निजीकरण; 55 हजार कर्मचारी चिंतित, सील बॉक्स में कर्मचारियों से मांगी जा रही राय

ABOUT THE AUTHOR

...view details