शिमला: संजौली मस्जिद विवाद मामले में शिमला की एक जिला अदालत ने ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन की अपील खारिज कर दी है. जिला अदालत ने एमसी कोर्ट के फैसले को ही बहाल रखा है. ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन ने जिला अदालत में नगर निगम आयुक्त की अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. यह मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-I, शिमला की अदालत में जज प्रवीण गर्ग के समक्ष सुनवाई को लगा था. फैसले के बाद संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर ऑर्गेनाजेशन और लोकल रेजिडेंट्स संजौली के वकील ने मीडिया से बातचीत की.
संजौली मस्जिद कमेटी के मुखिया मोहम्मद लतीफ ने कहा कि, 'कोर्ट ने ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन की अपील को रिजेक्ट कर दिया है. पूर्व में एमसी कोर्ट की ओर से दिए गए ऑर्डर ही मान्य होंगे. हमने मस्जिद की एक मंजिल को तोड़ा है, लेकिन एमसी कोर्ट को बता दिया गया है कि लेबर की कमी के कारण आगे का काम मार्च से पहले शुरू नहीं हो पाएगा.'
ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन के वकील ने कहा कि, 'विश्व भूषण ने कहा कि हमारी याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. एमसी कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा. ऑर्डर की कॉपी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा. हमारा तर्क था कि मस्जिद कमेटी की तरफ से जो लोग एमसी कोर्ट में हाजिर हुए थे उनके पास अपीयर होने की कोई अथॉरिटी नहीं थी. एमसी एक्ट में डीम्ड सेंक्शन की बात कही गई उस डीम्ड सेंक्शन पर भी चर्चा नहीं की गई है. एमसी कोर्ट से ऑर्डर पास करते समय उपयुक्त पार्टी को शामिल नहीं किया गया था.'
लोकल रेजिडेंट्स संजौली के वकील जगत पाल ठाकुर ने कहा कि,'आज का फैसला कोर्ट से आया है ये बहुत ही काबिलेतारीफ है. कोर्ट ने ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन की अपील को एक महीने के अंदर निरस्त कर दिया है. ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन ने 29 अक्टूबर को ये अपील फाइल की थी, हम पहले ही कह रहे थे कि इस अपील को दायर करने का कोई आधार नहीं है. ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन कोई पार्टी थी ही नहीं. 5 अक्टूबर 2024 को आया एमसी कोर्ट का फैसला बरकरार है. मस्जिद की तीन मंजिलों को तोड़ने की समय सीमा 14 दिसंबर को पूरी हो जाएगी. मस्जिद कमेटी के प्रधान ने एक मंजिल को तोड़ दिया है. हाईकोर्ट ने इस केस को 20 दिसंबर तक निपटाने के आदेश दिए हैं. एमसी कमिश्नर तय समय सीमा के अंदर इस मामले की सुनवाई पूरी करेंगे. हमारे पास जितना भी रिकॉर्ड है वो मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड के खिलाफ है. एमसी कोर्ट और जिला अदालत का फैसला सराहनीय है. कहीं कोई बहनेबाजी नहीं चलेगी. कानून की नजर में किसी को ये अधिकार नहीं है कि कोई कोर्ट के आदेशों की अवमानना करे. इसके लिए जेल की हवा खानी पड़ सकती है.'