गया: बिहार के गया में ग्रामीण महिलाएं धागों से अपने भविष्य को पिरो रहीं हैं. इनके बनाय कपड़े अब देश के बड़े-बड़े शहरों में बिकेंगी. सरकार इसे खादी ग्रामोद्योग समिति, नाबार्ड समेत विभिन्न सरकारी संस्थाओं के माध्यम से बचेगी. ग्रामीण महिलाओं का यह हुनर अब गांव से निकलकर राजधानी दिल्ली तक पहुंच सकेगा. आज के युवाओं को ध्यान में रखते हुए यहां कपड़े तैयार किये जा रहे हैं.
महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भरः गया के सुदरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के मिनिस्ट्री आफ हैंडलूम द्वारा इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. बाल ज्योति संस्था से जुड़कर सिर्फ कपड़े बनाने तक सीमित रहने वाली अब ये ग्रामीण महिलाएं डिजाइनिंग की दुनिया में भी खुद को बेहतर साबित कर रही हैं. केंद्र के वस्त्र मंत्रालय के मिनिस्ट्री ऑफ हैंडलूम की नजर गया के इस सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की बारीक कारीगरी पर गई. फिर मिनिस्ट्री ऑफ हैंडलूम के द्वारा इन्हें ट्रेंड किया जा रहा है. अब उनके द्वारा एक से बढ़कर एक डिजाइनिंग किए हुए वस्त्र बनाए जा रहे हैं.
आधुनिक तरीके की डिजाइनिंगः अब ये महिलाएं साड़ी, शर्ट, दरी, जूट बैग, बेडशीट समेत अन्य के कारीगरी में अपने हुनर दिखा रही है. उनके द्वारा बनाए गए यह डिजाइनिंग आइटम देश भर के मार्केट में बिकेगा. इन महिलाओं के द्वारा विभिन्न तरह के बनाए जाने वाले आइटम में मोती, 52 सी, टू अप टू डाउन, वन अप वन डाउन, सेकंड बिब, जकार्ड बिब समेत अन्य तरह की डिजाइनिंग की जा रही है. यह डिजाइनिंग एकदम आधुनिक तरीके की है. ऊन, कॉटन धागा और पॉलिएस्टर से यह डिजाइनिंग हैंडलूम से हो रही है.
घर की आर्थिक स्थिति सुधरीः खुशबू कुमारी, सिमरन कुमारी बताती है कि पहले वे अपने घरों पर ही रहती थी. घर के हालात भी अच्छे नहीं थे. अब घर में कमाने वाले दो हो गए हैं, तो हालात सुधर रहे है. अब हमारे द्वारा डिजाइनिंग के कपड़े तैयार किया जा रहे हैं, तो अब कमाई भी दोगुनी से अधिक होगी. पहले 300 से 500 रुपए का रोज का काम होता था, लेकिन अब डिजाइनिंग वाले जो कपड़े बना रहे हैं उसमें दुगुने से अधिक की कमाई रोज हो जाएगी. हम लोग आत्मनिर्भर हुए हैं और ऐसा हुनर हम लोगों के पास है, जिससे आगे ही बढ़ेंगे.
पहले कोई सोर्स नहीं थाः कारीगर गौरी कुमारी बताती हैं कि 2 साल पहले जब हैंडलूम पर कपड़े बनाती थी, तो बिक्री का कोई सोर्स नहीं था. बिक्री को लेकर भी असमंजस की स्थिति रहती थी, लेकिन अब गवर्नमेंट सेटअप मिला है. इसके बाद हमारे पास डिमांड आएंगे. हम ग्रामीण महिलाओं के द्वारा बनाए गए कपड़े खादी ग्रामोद्योग द्वारा बेचे जाएगा, नाबार्ड बेचेगा. वहीं हम लोग खुद भी इसकी बिक्री कर सकते हैं. इस तरह सरकार की मदद मिलने से हम लोगों को काफी फायदा होगा. अच्छी कमाई अब हो सकेगी.