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खादी ग्रामोद्योग में बिकेगी ग्रामीण महिलाओं के डिजाइन किए कपड़े, गया की महिलाओं के बहुरेंगे दिन

designer clothe prepared in gaya गया के सुदरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. ये वैसी महिलाएं हैं, जिनके पास पहले कोई काम नहीं था. वे बोधगया में संचालित बाल ज्योति संस्था की पहल से यहां हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट से विभिन्न आइटम बनाने लगी. हैंडलूम- हैंडीक्राफ्ट की बारीकी को कपड़ा मंत्रालय ने सिखाया.

गया की महिलाओं के बहुरेंगे दिन
गया की महिलाओं के बहुरेंगे दिन

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 7, 2024, 5:00 PM IST

गया में महिलाएं बना रहीं है डिजाइनर कपड़े.

गया: बिहार के गया में ग्रामीण महिलाएं धागों से अपने भविष्य को पिरो रहीं हैं. इनके बनाय कपड़े अब देश के बड़े-बड़े शहरों में बिकेंगी. सरकार इसे खादी ग्रामोद्योग समिति, नाबार्ड समेत विभिन्न सरकारी संस्थाओं के माध्यम से बचेगी. ग्रामीण महिलाओं का यह हुनर अब गांव से निकलकर राजधानी दिल्ली तक पहुंच सकेगा. आज के युवाओं को ध्यान में रखते हुए यहां कपड़े तैयार किये जा रहे हैं.

गया में तैयार डिजाइनर कपड़ा.


महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भरः गया के सुदरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के मिनिस्ट्री आफ हैंडलूम द्वारा इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. बाल ज्योति संस्था से जुड़कर सिर्फ कपड़े बनाने तक सीमित रहने वाली अब ये ग्रामीण महिलाएं डिजाइनिंग की दुनिया में भी खुद को बेहतर साबित कर रही हैं. केंद्र के वस्त्र मंत्रालय के मिनिस्ट्री ऑफ हैंडलूम की नजर गया के इस सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की बारीक कारीगरी पर गई. फिर मिनिस्ट्री ऑफ हैंडलूम के द्वारा इन्हें ट्रेंड किया जा रहा है. अब उनके द्वारा एक से बढ़कर एक डिजाइनिंग किए हुए वस्त्र बनाए जा रहे हैं.

गया में तैयार हो रहा कपड़ा.



आधुनिक तरीके की डिजाइनिंगः अब ये महिलाएं साड़ी, शर्ट, दरी, जूट बैग, बेडशीट समेत अन्य के कारीगरी में अपने हुनर दिखा रही है. उनके द्वारा बनाए गए यह डिजाइनिंग आइटम देश भर के मार्केट में बिकेगा. इन महिलाओं के द्वारा विभिन्न तरह के बनाए जाने वाले आइटम में मोती, 52 सी, टू अप टू डाउन, वन अप वन डाउन, सेकंड बिब, जकार्ड बिब समेत अन्य तरह की डिजाइनिंग की जा रही है. यह डिजाइनिंग एकदम आधुनिक तरीके की है. ऊन, कॉटन धागा और पॉलिएस्टर से यह डिजाइनिंग हैंडलूम से हो रही है.

गया में तैयार हो रहा कपड़ा.


घर की आर्थिक स्थिति सुधरीः खुशबू कुमारी, सिमरन कुमारी बताती है कि पहले वे अपने घरों पर ही रहती थी. घर के हालात भी अच्छे नहीं थे. अब घर में कमाने वाले दो हो गए हैं, तो हालात सुधर रहे है. अब हमारे द्वारा डिजाइनिंग के कपड़े तैयार किया जा रहे हैं, तो अब कमाई भी दोगुनी से अधिक होगी. पहले 300 से 500 रुपए का रोज का काम होता था, लेकिन अब डिजाइनिंग वाले जो कपड़े बना रहे हैं उसमें दुगुने से अधिक की कमाई रोज हो जाएगी. हम लोग आत्मनिर्भर हुए हैं और ऐसा हुनर हम लोगों के पास है, जिससे आगे ही बढ़ेंगे.

गया में तैयार हो रहा कपड़ा.


पहले कोई सोर्स नहीं थाः कारीगर गौरी कुमारी बताती हैं कि 2 साल पहले जब हैंडलूम पर कपड़े बनाती थी, तो बिक्री का कोई सोर्स नहीं था. बिक्री को लेकर भी असमंजस की स्थिति रहती थी, लेकिन अब गवर्नमेंट सेटअप मिला है. इसके बाद हमारे पास डिमांड आएंगे. हम ग्रामीण महिलाओं के द्वारा बनाए गए कपड़े खादी ग्रामोद्योग द्वारा बेचे जाएगा, नाबार्ड बेचेगा. वहीं हम लोग खुद भी इसकी बिक्री कर सकते हैं. इस तरह सरकार की मदद मिलने से हम लोगों को काफी फायदा होगा. अच्छी कमाई अब हो सकेगी.

गया में तैयार हो रहा कपड़ा.


महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भरः विधायक ज्योति देवी बताती है, वे शुरु से ही ग्रामीण महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं. मेरे पुत्र रूपक कुमार द्वारा बाल ज्योति संस्था चलाई जा रही है. इसमें महिलाएं पहले से ही कपड़े बनाना सीख रही थी. हैंडलूम पर उनके हाथ काफी कमाल दिखा रहे थे. अब उनके द्वारा डिजाइनिंग कर विभिन्न वस्त्र बनाए जा रहे हैं. अब छोटे से गांव की ओर केंद्र सरकार का नजर गई है. यह हमारे लिए खुशी की बात है. बाल ज्योति संंस्था के माध्यम से हम लोगों ने छोटी पहल की थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है. हमारे क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है और डिजाइनिंग में भी अपना कमाल दिख रही है.

गया में तैयार हो रहा कपड़ा.
"दो साल पहले यह बाल ज्योति संस्था में शुरुआत की गई थी. जिसमें महिलाओं को हैंडलूम से विभिन्न कपड़े बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. किंतु अब महिलाएं डिजाइनिंग करेगी और देश भर के मार्केट में ग्रामीण महिलाओं की डिजाइनिंग वाले विभिन्न वस्त्र बिकेंगे. खादी ग्रामोद्योग, नाबार्ड समेत अन्य सरकारी संस्थाओं के माध्यम से बेची जाएगी"- रूपक कुमार, संचालक, बाल ज्योति संस्था
गया में तैयार हो रहा कपड़ा.

भारत सरकार चला रही स्कीमः मिनिस्ट्री आफ हैंडलूम से जुड़े बोधगया में ट्रेनिंग देने आए डिजाइनर सौरभ मिश्रा बताते हैं, कि भारत सरकार द्वारा स्कीम चल रही है. यह बोल ज्योति का परिसर है, जिसमें ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग देकर परीक्षण हो चुका है. डिजाइन करके मार्केट में यह बेचा जाएगा. यूथ की मांग के अनुसार डिजाइनिंग पैटर्न को देखते हुए संबंधित बेसिक चीज बताई गई है और अब यह महिलाएं उस डिजाइनिंग को उतार रही है. इनके बने डिजाइनिंग वाले कपड़े देश भर के मार्केट में बिकेंगे. लखनऊ महोत्सव, नोएडा में होने आयोजन में यहां की डिजाइन कर बनाए गए कपड़ों को प्रस्तुत किया जाएगा.

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