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ओबीसी ट्रिपल टेस्ट वास्तविक या खानापूर्ति, रिपोर्ट जारी होने से पहले जानिए सर्वे पर क्यों उठ रहे हैं सवाल - OBC TRIPLE TEST

झारखंड सरकार अभी शहरी नगर निकाय क्षेत्रों में ओबीसी की संख्या का आकलन करने में व्यस्त है.मगर यह सर्वे सवालों के घेरे में आगया है.

OBC TRIPLE TEST
झारखंड में ओबीसी ट्रिपल टेस्ट सर्वे विवादों के घेरे में (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 27, 2025, 9:31 PM IST

रांची: शहरी नगर निकाय क्षेत्रों में ओबीसी की संख्या का आकलन करने में इन दिनों सरकार जुटी हुई है. हाईकोर्ट और सामाजिक संगठनों के दवाब के बाद राज्य, पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा चल रहा सर्वे एक बार फिर विवादों में आ गया है.

दरअसल जिस तरह से सर्वे का काम चल रहा है उसके तौर तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. ओबीसी ट्रिपल टेस्ट को लेकर मुखर रहा राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने आयोग द्वारा डीसी के माध्यम से कराए जा रहे सर्वे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट ने डोर टू डोर सर्वे कराने को कहा था मगर टेलीफोन से जाति पूछकर सर्वे की खानापूर्ति की जा रही है.

झारखंड में ओबीसी ट्रिपल टेस्ट सर्वे विवादों के घेरे में (Etv Bharat)

सरकार ने सर्वे में उलझाने का काम किया है

ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सर्वे में सिर्फ ओबीसी की संख्या का आकलन करना था मगर सर्वे फार्म में एससी, एसटी, सामान्य का भी कॉलम देकर सरकार ने उलझाने का काम किया है. इतना ही नहीं आने वाले समय में वार्डों का पुनर्गठन होना है, ऐसे में यदि यह व्यापक रूप से नहीं किया गया तो नगर निगम चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा.

इधर सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे पर विपक्षी दल भाजपा ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिस तरह से सर्वे कराया जा रहा है उससे यह लग रहा है कि साजिश के तहत ओबीसी की संख्या को कम कर, आरक्षण से वंचित करना चाहती है सरकार. जिससे विवाद बढ़े और एक बार फिर यह मामला न्यायालय तक पहुंच जाए.

झारखंड में पिछड़े वर्गों की जाति/समुदाय की सूची (Etv Bharat)

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने सरकार को इसे गंभीरता से लेने का आग्रह करते हुए कहा है कि टेलीफोन पर सर्वे करना और कई क्षेत्रों को जानबूझकर छोड़े जाना कहीं ना कहीं साजिश को जन्म दे रहा है.

मध्यप्रदेश और बिहार में हो चुकी है ओबीसी गणना

झारखंड से पहले मध्यप्रदेश और बिहार में ओबीसी की गणना हो चूकी है. बिहार में जाति गणना समग्रता से की गई है जो विवाद में रही है. पटना हाईकोर्ट में इसको लेकर कई मामले दर्ज हैं.

झारखंड में पिछड़े वर्गों की जाति/समुदाय की सूची (Etv Bharat)

झारखंड सरकार ने बिहार के बजाय मध्य प्रदेश के मॉडल को अपनाने का काम किया है. मध्य प्रदेश में एक साल तक सर्वे का काम चला था हालांकि वहां भी आंकड़ों को लेकर कई विवाद हुए.

झारखंड सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल को अपनाते हुए पिछले साल दिसंबर के प्रथम सप्ताह से सर्वे का काम शुरू किया है. पिछड़ा वर्ग आयोग के सचिव दावा करते हैं कि जनवरी के अंत तक सर्वे का काम पूरा कर लिया जाएगा. जिला स्तर से रिपोर्ट आने के बाद किसी एजेंसी के माध्यम से रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जायेगी. फरवरी तक सरकार को रिपोर्ट देने की तैयारी की जा रही है.

झारखंड में पिछड़े वर्गों की जाति/समुदाय की सूची (Etv Bharat)
सरकार के पास ये हैं ओबीसी की जातियां

झारखंड सरकार के रिकार्ड में ओबीसी अनुसूची वन में 127 जातियां हैं जबकि ओबीसी अनुसूची 2 में, 22 जाति हैं जिनकी संख्या का आकलन सरकार करने में जुटी है.

अनुसूची-1 में जो प्रमुख जातियां हैं उसमें कपरिया, कानू, कलन्दर, चन्द्रवंशी, गुलगुलिया, पमरिया, नागर, धानुक, तांती, माली, छिपी, बढई, तेली, हलवाई आदि शामिल हैं वहीं अनुसूची 2 की बात करें तो इसमें प्रमुख जातियों में बनिया, वैश्य, मुकरी, यादव, परथा, गिरी -सन्यासी आदि शामिल है.

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