रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में करारी शिकस्त खाने के बाद अब एक बार फिर भाजपा ने झामुमो के गढ़ संथाल में जनाधार बढ़ाने का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. संथाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा को कमजोर करने के लिए भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ का एजेंडा जनता के सामने रखा, जिसमें आदिवासियों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे की बात कही गई. इस काम की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को दी गई ताकि वह संथाली समाज को जागरूक करने के प्रयास कर सकें. चंपाई सोरेन 22 दिसंबर से अमर शहीद सिदो कान्हू की शहादत स्थल से यात्रा शुरू करेंगे.
घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज सिर्फ संथाल नहीं बल्कि राज्यभर का मुद्दाः चंपाई
22 दिसंबर, संथाल परगना स्थापना दिवस के दिन अमर शहीद सिदो कान्हू की शहादत स्थली भोगनाडीह से जागरूकता यात्रा शुरू करने की घोषणा करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि न सिर्फ संथाल बल्कि कोल्हान और राज्य के कई इलाकों में आदिवासियों की पहचान और उनकी अस्मिता खतरे में है. सरायकेला के गोपाली बांधगोड़ा का जिक्र करते हुए भाजपा विधायक चंपाई सोरेन कहा कि वहां पर पहले 150 परिवार आदिवासियों के और 200 महतो परिवार के रहते थे, मगर आज वहां आदिवासी परिवार खोजे से भी नहीं मिलेगा. सवाल यह है कि वहां से सब आदिवासी परिवार कहां चले गए.
आदिवासी समाज को जागरूक करना ही मुख्य लक्ष्यः चंपाई
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 दिसंबर 1855 को संथाल का स्थापना दिवस है, उसी दिन भोगनाडीह से वह अपनी यात्रा शुरू करेंगे. वो संथाली समाज को यह बताएंगे कि कैसे उनकी पहचान को समाप्त किया जा रहा है. कैसे उनकी जीवन पद्धति और अस्मिता पर हमला बोला जा रहा है और अगर अभी भी नहीं जागे तो आगे क्या क्या हो सकता है, यह हम जनता को आगे बताएंगे.
मैं बच्चा नहीं... बहुत सोच समझ कर झामुमो छोड़ा है, वापसी का सवाल ही नहीं-चंपाई
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेताओं द्वारा उनकी फिर झामुमो में वापसी की संभावनाओं पर जवाब देते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि वह बच्चे नहीं हैं जो कोई गलती करें. उन्होंने कहा कि मैंने बहुत सोच समझ कर झामुमो को छोड़ा है. अब वहां वापसी का कोई सवाल ही नहीं है.