हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग जिला स्थित बड़कागांव का बुढ़वा महादेव मंदिर में सावन महीने में जल चढ़ाने की परंपरा 600 साल पुरानी है. यह मंदिर 500 मीटर ऊंचा पहाड़ पर स्थित है. शिव उपासना के लिए ही नहीं बल्कि धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है. यही कारण है कि सालों भर पर्यटक यहां आते रहते हैं. सावन व महाशिवरात्रि में शिव भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यह संतान सुख देने वाले बाबा हैं.
राजा दलेल सिंह ने सावन पर्व की शुरुआत
हजार बागों का शहर हजारीबाग का बड़कागांव प्रखंड कोयला उत्पादन के लिए पूरे देशभर में जाना जाता है. वहीं, यहां के प्रखंड का ऐतिहासिक धरोहर को भी खुद में समेटे हुए हैं और उन्हें में एक है बुढ़वा महादेव मंदिर. बुढ़वा महादेव का इतिहास लगभग 600 साल पुराना है. यहां जलाभिषेक करने की परंपरा 17 वीं सदी पुरानी है. कर्णपुरा राज्य के राजा दलेल सिंह ने सावन पर्व की शुरुआत इसी मंदिर से की थी. कभी रामगढ़ राज्य की राजधानी बादाम बड़कागांव हुआ करता था.
राजा दलेल सिंह खुद बहुत बड़े शिव भक्त थे. उन्होंने अपने जीवन काल में भगवान शिव पर कई गीत लिखे थे. जल अर्पण करने के लिए यहां पर तालाब बनवाया गया था. जिसे रानी पोखर के नाम से जाना जाता है. उस समय यहां कई शिवलिंग की स्थापना करायी गई थी, जिसका प्रमाण अभी भी पहाड़ के गुफा में मौजूद है. महूदी पहाड़ में शेषनाग शिलाएं हैं. रास्ते के दोनों तरफ शिलाएं है. पूरे पहाड़ में 4 गुफा देखा जा सकता है. इन गुफाओं में पूजा अर्चना करने से मन्नत पूरी हो जाती है.