वाराणसी :भस्म और तिलक लगाए नाचते-गाते नागा संन्यासी आगे बढ़ रहे थे. विदेशी श्रद्धालु भी बाराती बने. बाबा विश्वनाथ दूल्हा बनकर रथ पर सवार होकर सबसे आगे चल रहे थे. हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे थे. बुधवार को दुनिया की सबसे पुरानी शिव बारात में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा. महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती का विवाह कराया गया. इससे पूर्व बाबा विश्वनाथ का राजसी श्रृंगार किया गया. दूल्हा बने बाबा की प्रतिमा को सेहरा पहनाया गया. मथुरा से आए लाल रंग के खास लहंगे से मां पार्वती का श्रृंगार किया गया.
विशेष आरती के बाद बाबा को लगाया गया भोग :टेढ़ी नीम स्थित पूर्व महंत के आवास पर 350 साल पुराने लोक परंपरा का निर्वहन करते हुए पंडित वाचस्पति तिवारी ने बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती का विवाह कराया. इस मौके पर सबसे पहले लगभग 400 साल पुराने स्फटिक शिवलिंग को पीतल की पारात में रखकर मंत्र के साथ सभी देवी-देवताओं को भगवान शिव के विवाह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया. उसके बाद विशेष आरती के जरिए बाबा को फलाहार का भोग लगाया गया. इस मौके पर मंगल गीत गाए गाए गए. उसके बाद महाशिवरात्रि के महानिशा में बाबा विश्वनाथ के विवाह की शुरुआत हुई.
5 किमी तक लगी रही भक्तों की कतार :महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के विवाह में शामिल होने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु करीब 5 किलोमीटर लंबी कतार में लगे रहे. सुबह से लेकर के रात 12 बजे तक करीब 9,07,435 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया. वहीं बुधवार की रात 2 बजे से ही मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन की शुरुआत हो गई. गुरुवार की रात 1 बजे तक यह अनवरत चलती रही. सुबह सबसे पहले अलग-अलग अखाड़े के नागा संन्यासियों ने पेशवाई निकाली.