वाराणसी :धर्म अध्यात्म और मंदिरों का शहर बनारस जहां सुबह सूर्य उदय होने के साथ मंदिरों के घंटे, घड़ियाल और शंख की आवाज हर किसी को अपनी तरफ खींच लेती है. मंदिरों के इस शहर में सड़कों से लेकर गलियों तक में पौराणिक और पुरातन मंदिरों की भरमार है. मंदिरों की संख्या कितनी है यह बता पाना फिलहाल नामुमकिन है. हालांकि अब नगर निगम वाराणसी ने मंदिरों का सर्वे शुरू कराया है. नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार बनारस के ऐसे 515 मंदिरों का सर्वे हुआ है, जहां से प्रतिदिन माला फूल और अन्य तरह का धार्मिक निर्माल्य (कचरा) हजारों किलो की तादाद में निकलता है. प्रतिदिन निकलने वाले इस निर्माल्य के निस्तारण के लिए नगर निगम ने खास व्यवस्था बनाई है.
घरों को महकाने और सजाने में होगा निर्माल्य का उपयोग :वाराणसी नगर निगम के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि सर्वे में 100 वार्डों के 515 मंदिरों की डिटेल जुटा गई है. इन मंदिरों से प्रतिदिन लगभग 3500 से 3800 किलोग्राम कचरा आम दिनों में निकलता है. विशेष पर्व सावन, शिवरात्रि, नवरात्र, बसंत पंचमी, गुरु पूर्णिमा समेत कई पर्वों पर प्रतिदिन लगभग 10 हजार किलो कचरा निकलता है. इसका निस्तारण निश्चित तौर पर चैलेंज है.
धार्मिक दृष्टि से मंदिर से निकलने वाले फूल और अन्य तरह के कचरे को निस्तारित करने के लिए अलग प्रबंध की व्यवस्था करनी होती है. इसको या तो पवित्र नदियों के किनारे बालू में दबाया जाता है या फिर अलग तरीके से इसका निस्तारण होता है. अब इस तरह के मंदिरों के माला फूल व अन्य चीजों को सामाजिक संस्थाओं और कुछ कंपनियों के साथ मिलकर एक अलग तरीके से इस्तेमाल करने की तैयारी की गई है.