सुपौल: क्रिकेटर मयंक यादवकी चारो ओर चर्चा तेज हो गई. IPL डेब्यू में अपनी रफ्तार से कहर बरपाने के बाद हर कोई जानना चाह रहा है कि आखिर मयंक यादव कौन और इसका बिहार से क्या कनेक्शन है? नवाबो के शहर लखनऊ में शनिवार की रात कोसी के गर्भ में बसा रहतो गांव के मयंक ने जो इतिहास रचा उसे खेल प्रेमी ताउम्र याद रखेंगे.
11वें ओवर में संभाला मोर्चाः आईपीएल के 17वें सीजन के 11 वां मैच पंजाब किंग्स व लखनऊ के बीच खेला जा रहा था. 10वें ओवर में पंजाब किंग्स का स्कोर बिना विकेट खोये 101 रन था. जो विरोधी खेमे के खिलाड़ियों की बेचैनी बढा रखी थी. इसी बीच लखनऊ के कप्तान निकोलस पूरन ने 11वें ओवर में नवोदित गेंदबाज मयंक यादव के हाथों में बॉल सौंप कर भरोसा जताया.
गोली की रफ्तार से गेंदबाजीः मयंक ने जब पहली बॉल 156 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डाली तो सामने खड़े बल्लेबाज भौंचक रह गए. इसके बाद मयंक ने अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए 04 ओेवर में 27 रन देकर 03 महत्वपूर्ण विकेट प्राप्त कर विरोधी खेमे में हलचल पैदा कर दी. मयंक के हाथों गोली की रफ्तार से निकलती गेंद देखकर दुनिया के महान बल्लेबाज व गेंदबाज युवा गेंदबाज के कायल हो गए.
तीसरे बार में मिला मौकाः इतना ही नहीं कमेंटेटर भी मयंक के कसीदे पढने लगे. जानकार बताते हैं कि इस सीजन का सबसे तेज गेंद मयंक ने ही डाला है. अपने पहले ही मैच में मैन ऑफ द मैच चुना गया. इससे पहले वर्ष 2022 में आईपीएल टीम लखनऊ में 20 लाख रुपये में खरीदा गया था. लेकिन खेलने का मौका नहीं मिल. पुन 2023 में लखनऊ टीम में मयंक का चयन हुआ. बदनसीबी रही की पहले ही मैच में वे चोटिल हो गए. इसके बाद पुन: 2024 में मयंक का चयन लखनऊ टीम में हुआ. इसबार उन्हें मौका मिला और डंका बजा दी.
सुपौल के रतहो गांव के निवासी हैं मयंक यादवः जिले के मरौना दक्षिण पंचायत स्थित कोसी तटबंध के भीतर बसे रतहो गांव निवासी स्व हरिश्चंद्र यादव के पौत्र और पत्रकार फूल कुमार यादव का भतीजा 21 वर्षीय मयंक का गांव सुदूर देहाती इलाके में शुमार है. जहां हर साल कोसी की विभिषिका लोगों को झेलनी पड़ती है. बाढ काल समाप्त होने के बाद चारों ओर रेत ही रेत नजर आता है. जहां मूलभूत सुविधाओं का आज भी काफी अभाव है.
सीधे व सरल स्वभाव का खिलाड़ीःकोसी का लाल ने अपने गांव व राज्य का नाम दुनिया में रौशन किया है. मयंक के चाचा बताते हैं कि वह बहुत सीधे व सरल स्वभाव का खिलाड़ी है. उन्होंने दिल्ली में ही रहकर 12 वीं की परीक्षा पास की. मयंक के पिता प्रभु यादव ने बताया की बच्चे को किस दिशा में मोड़ना है. वह उसके माता पिता पर निर्भर करता है. उनका शौक था कि उनका बेटा क्रिकेटर बने.